1962 के युद्ध के बाद संसद (Parliament) में काफी गर्मागर्म बहस चल रही थी अक्साई चीन (Aksai Chin) पर चीन के कब्जा को लेकर विपक्ष तांडव के मूड में था। बोले तो हंगामा काट रखा था। नेहरू (Nehru) अभी भी सोच रहे थे कोई बात नहीं, अक्साई चीन को बंजर बताकर, देश को गोली दे देंगे। इसी बीच उनके पिता के मित्र और नेहरू के पुराने साथी और मंत्रिमंडल के कद्दावर चेहरा महावीर त्यागी (Mahaveer Tyagi) ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर (पहले राजमाता नाम का दरबार युग अस्तित्व में नही था) कांग्रेस (Congress) में विपक्ष से पहले ही नेहरू को बैकफुट पर भेज दिया। महावीर त्यागी देहरादून (Dehradun) (तबके यूपी), बिजनौर (Bijnor), सहारनपुर (Saharanpur) (पश्चिम) लोकसभा क्षेत्र से 1952, 57 व 62 में सांसद रहे, राजस्व मंत्री और मिनिस्टर फ़ॉर डिफेंस ऑर्गनाइजेशन भी रहें।
दरअसल हुआ यह की,
1962 के युद्ध के बाद नेहरू जी संसद में देशवासी को गोली देने के क्रम में कहने लगे “अक्साई चिन में तिनके के बराबर भी घास तक नहीं उगती,वो बंजर इलाका है,चीन ने ले लिया तो क्या हुआ? इसपर इतना हल्ला क्यों? नेहरू की भाषा कुछ इस प्रकार की थी जैसे कि नेहरू ने चीन से पहले ही कोई गुपचुप समझौता के तहत भारत की भूमि बेच दी हो और कोई तय स्क्रिप्ट के तहत अपनी बात रख रहे हो।
नेहरू के बयान पर विपक्ष से पहले पार्टी के ही कद्दावर नेता ने ही नेहरू की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि “नेहरू जी आप संसद को गुमराह कर रहे है। अपना गंजा सिर नेहरू को दिखाते हुए कहा, “यहां भी कुछ नहीं उगता तो क्या मैं इसे कटवा दूं या फिर किसी और को दे दूँ ?”
पूरा सदन और नेहरू एकदम से पिंड्राप साइलेंस मोड में पहुंच गए हो जैसे की कोई बिना किसी पूर्वानुमान के सदन में आकर नेहरू की बुद्धि भेद गया हो।
इसके अतिरिक्त भी महावीर त्यागी का एक बहुत ही प्रचलित भविष्यवाणी भी है जब उन्होंने कहा, “जिस दिन कांग्रेस जाति-धर्म की राजनीति शुरू कर देगी उस दिन कांग्रेस का पतन निश्चित है”
शायद उस समय जरूर महावीर त्यागी के जिह्नवा पर सरस्वती जी का वास रहा होगा, जो वर्तमान में कांग्रेस उनके द्वारा की गई भविष्यवाणी के लगभग आसपास ही है।