Inflation: सब़्जियों के दामों ने बिगाड़ा जायका, रसोई पर सीधी पड़ती मंहगाई की मार

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): Inflation: पेट्रोल-डीजल के बाद अब सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने आम जनता की जेब सीधा वार किया है। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है और इस समय सब्जियों के दामों (Prices Of Vegetables) ने किचन का बजट बिगाड़ दिया है। तेल और दालों की आसमान छूती कीमतों के बीच अब सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी ने आम आदमी की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं।

सर्दियों में आम तौर पर सस्ते रहने वाले मटर और टमाटर की कीमत (Tomato Price) भी काफी ज़्यादा दर्ज की जा रही है। इस सीजन में आम तौर पर 20/25 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर फिलहाल 100 रुपये किलो बिक रहा है। वहीं मटर कई जगह 100, 150 और 200 रुपये किलो बिक रही है।

सब्जियों के बढ़ते दाम से न सिर्फ ग्राहक परेशान हैं बल्कि सब्जी विक्रेताओं (Vegetable Vendors) की भी हालत खराब है। दरअसल सब्जियों के दाम बढ़ने के बाद बिक्री में भी भारी गिरावट देखी गयी है।

दिल्ली में सब्जियों के औसत दाम प्रति किलोग्राम

मटर: 100 रुपये

टमाटर: 80 रुपये

आलू: 30 रुपये

भिंडी: 80 रुपये

प्याज : 60 रुपये

नींबू: 60 रुपये

पालक: 40 रुपये

अदरक: 100 रुपये

लहसुन: 200 रुपये

बैगन : 60 रुपये

कच्चा केला : 60 रुपये

कच्चा पपीता : 60 रुपये

पत्ता गोभी : 60 रुपये

लौकी : 60 रुपये

फूलगोभी: 60 रुपये

परवल: रु.80

छोटा बैगन: 60 रुपये

कद्दू: 40 रुपये

करेला : 80 रुपये

देसी खीरा: 60 रुपये

खीरा: 60 रुपये

लाल शिमला मिर्च: 400 रुपये

शिमला मिर्च: 120 रुपये

फ्रेंच बीन्स: 160 रुपये

हाईब्रीड ककड़ी: 60 रुपये

मशरूम: 60 रुपये

गाजर : 60 रुपये

कटहल: 60 रुपये

ब्रोकली: 300 रुपये

मूली : 60 रुपये

इन अहम वज़हों से बढ़ रहे है सब़्जियों के दाम

सब्जियों की ऊंची कीमतों के पीछे कई कारण हैं। दक्षिण भारत में भारी बारिश की वजह से फसल खराब हुई जिससे टमाटर के दामों में भारी उछाल आया। दरअसल आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में आयी बाढ़ के चलते टमाटर की फसल खराब होने से टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं।

इसके अलावा डीजल की बढ़ी कीमतों के कारण सब्जियों का छोटे पैमाने पर ट्रांसपोर्टेशन नहीं किया जा रहा है। एक और बड़ी वजह है शादियों का सीजन। फेस्टिव सीजन के बाद शादियों का सीजन (Wedding Season) शुरू हो गया है। ऐसे में सब्जियों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। मांग बढ़ने से सब्जियों के दाम कम नहीं हो रहे हैं।

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