एजेंसियां/न्यूज डेस्क (पार्थसारथी घोष): पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) को दुनियाभर में फेल स्टेट का दर्जा दिया जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि पाकिस्तान को मुल्ला (नॉन स्टेट एक्टर्स) और ऑर्मी चलाती है। लोकतन्त्र और आवामी सरकार दुनिया को दिखाने के लिए मुखौटे से ज़्यादा कुछ नहीं है। हाल ही में पाकिस्तान सीनेट चेयरमैन चुनाव होने जा रहे थे, लेकिन चुनाव शुरू होने से पहले ही ये कवायद खटाई में पड़ गयी। बीते शुक्रवार विपक्षी में बैठे सीनेटरों ने दावा किया कि सरकार ने मतदान केंद्रों के पास और अंदर जासूसी कैमरे लगाए थे।
विशेष सत्र में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के रज़ा रब्बानी ने खुलकर दावा किया कि, मतदान केंद्र पर “खुफ़िया कैमरा” लगाये गये थे। विपक्ष ने मामले की जांच की मांग करते हुए पूछा कि, इन्हें किस मंशा से किसने लगाया? सीनेट हॉल में इसका कन्ट्रोल किसके पास था? इसके बाद सीनेट के सदन में मामला काफी तूल पकड़ता दिखा। गुलाम अब्बास शाह ने इस मुद्दे पर ट्विट कर लिखा कि- गुप्त चुनाव अब ज़्यादा गुप्त नहीं रह गये। सीनेट के चुनावी सत्र के दौरान खुफ़िया कैमरें लगाने के मामले पर ज़मकर बवाल काटा गया।
पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि, अगर स्पाई कैमरे लगाये गये होते तो, किसी को कानों कान खब़र ना होती। जासूसी कैमरे पकड़ना इतना आसान काम नहीं है। ये मुमकिन है कि सांसदों ने सीसीटीवी को गलती से खुफ़िया कैमरा समझ लिया हो। जासूसी कैमरे की तरह सीसीटीवी को गलत समझा हो। पाकिस्तान में इस मामले को लेकर ज़मकर मीम्स़ बनाये जा रहे है। राजधानी इस्लामाबाद में कई आम लोग इस बात का ज़मकर मखौल उड़ा रहे है।
इससे ठीक एक दिन पहले पीपीपी सीनेटर मुस्तफा नवाज़ खोखर ने दावा किया कि, उन्होनें और पाकिस्तान मुस्लिम लीग – नवाज़ (पीएमएल-एन) के सीनेटर मुस्ताक मलिक पोलिंग बूथ के ऊपर जासूसी कैमरा लगा देखा। जिसके बाद उन्होंने ट्विट कर लिखा कि क्या एक अजीब मजाक है। सीनेट पोलिंग बूथ (Senate Polling Booth) में खुफ़िया कैमरे लगाये गये हैं। पाकिस्तानी ज्महूरियत का बड़ा हिस्सा खतरे में है।
सत्र के दौरान सीनेटर सैयद मुजफ्फर हुसैन शाह ने 48 सदस्यों को शपथ दिलाई। जिसके बाद सदन को दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट गठबंधन के तहत पूर्व पाकिस्तानी प्रधान मंत्री यूसुफ रजा गिलानी (पीपीपी) को अध्यक्ष के तौर पर और मौलाना अब्दुल गफूर हैदरी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) को उपाध्यक्ष पद के लिए ज्वाइंट कैडींडेट (Joint candidate) बनाकर चुनावी मैदान में उतारा गया था। इसी सिलसिले में प्रधान मंत्री इमरान खान ने सीनेटर मिर्ज़ा मोहम्मद अफरीदी को नॉमिनेट किया गया था। इससे पहले अध्यक्ष पद के लिए मोहम्मद सादिक संजरानी को मैदान में उतारा गया था। जो कि संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (फाटा) से आने वाले अरबपति कारोबारी है।