नई दिल्ली (शौर्य यादव): हर साल 21 सितम्बर को विश्व शांति दिवस (International Day of Peace) मनाया जाता है। इसे मनाने शुरूआत साल 1982 में हुई। स्थायी और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व इसका मूल उद्देश्य है। हाल ही में शांति के मद्देनज़र राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प की अगुवाई में कई अरब मुल्कों का इजरायल से राजनयिक संबंध (Arab countries have diplomatic relations with Israel) स्थापित करना मिडिल-ईस्ट में स्थायी बहाली के प्रयासों के बीच इस दिन की अहमियत काफी बढ़ जाती है। जॉर्डन, मिस्र, बहरीन, यूएई इसके अलावा और भी कई अरबी मुल्क शांति की अहमियत को समझते हुए इजरायल की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे है। बदले में इजरायल वेस्ट बैंक में अपनी दावेदारी वापस ले रहा है। इसे अमेरिकी की अगुवाई में इस शताब्दी का सबसे बड़ा शांति प्रयास (The biggest peace effort of the century) माना जा रहा है।
बात करें वैश्विक शांति की तो संयुक्त राष्ट्र का उदय ही इसलिए हुआ है। अंतरराष्ट्रीय हथियारबंद संघर्षों को रोकने और शांति की संस्कृति विकसित करने के सतत् प्रयासों को ये दिन बल देता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को शांति के नाम समर्पित किया। संयुक्त राष्ट्रसंघ समेत उससे जुड़ी तमाम संस्थाएँ, गैर-सरकारी संगठन, नागारिक संगठन, राजनीतिक समूह, सैन्य समूह (जैसे नाटो) और राष्ट्रीय सरकारें इन दिन शांति का संदेश दुनिया में फैलाने के लिए सेमिनार, बैठकें और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है। साथ ही यूनाइटेड नेशन कला, साहित्य, सिनेमा, संगीत और खेल जगत के विख्यात लोगों को शांतिदूत बनाता है।
इस संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर में चल रहे सशस्त्र संघर्षों के लिए युद्ध विराम की घोषणा (Ceasefire declaration) करता है। जिसका पालन यूएन द्वारा विभिन्न इलाकों में तैनात शांति सैनिक करते है। विश्व शांति दिवस की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (न्यूयॉर्क) में शांति घंटी बजाकर की जाती है। इस घंटी को अफ्रीका को छोड़कर बाकी महाद्वीपों के बच्चों द्वारा दान में दिये गये सिक्कों से बनाया गया है। यूएन को ये घंटी उपहार के तौर पर जापान के युनाइटेड नेशनल एसोसिएशन से मिली थी। घंटी का बजाया जाना सांकेतिक रूप से मानवता को शांति का मूल्य बताता है। घंटी के एक तरफ लिखा हुआ है कि दुनिया में शांति और अमन कायम रहे।
विश्व शांति के स्थायी प्रयास और शांति पूर्ण सह-अस्तित्व की वैश्विक भावना (world peace and a global sense of peaceful coexistence) ही सशस्त्र संघर्षों, औपनिवेशिक ताकतों और साम्राज्यवाद (Armed conflicts, colonial forces and imperialism) को रोकने में कारगर होती है। इसलिए यूएन सहित पूरी दुनिया में इसे मनाया जाता है। इसी बात को जाहिर करने के लिए कई जगहों पर सफेद कबूतर भी उड़ाये जाते है।