एजेंसिया (विश्वरूप प्रियदर्शी): साल 2020 के दौरान ईरान (IRAN) को लगातार दो बड़े झटके लगे रिवॉल्यूशनरी गॉर्ड की शीर्ष कमांडर और परमाणु कार्यक्रम के मुख्य वैज्ञानिक की हत्या। इससे तेहरान की बौखलाहट में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। अब ईरानी हुक्मरान अपनी नीतियों को और भी आक्रामक बनाने में लगे हुए है। जिससे मध्य-पूर्व एशिया के रणनीतिक समीकरणों (Middle East Strategic Equations) पर सीधा असर पड़ा रहा है। अमेरिका और इजरायल को उकसाने के लिए ईरान ने अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को बढ़ा दिया है।
कई ताकतवर मुल्कों से हुए परमाणु समझौतों को धत्ता बताते हुए अब तेहरान अंडर ग्राउंड प्लांट में यूरेनियम संवर्द्धन के करने के लिए नयी तकनीक के कई सेंट्रीफ्यूज लगाने जा रहा है। इस पूरे मामले की रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई वाली एक संस्था ने तैयार की है। जो कि दुनिया भर में चल रहे परमाणु कार्यक्रमों पर काफी बारीक नज़र रखती है। रिपोर्ट के खुलासे से पेंटागन और तेल अवीव (Pentagon and Tel Aviv) पर ज़वाबी कार्रवाई करने दबाव काफी बढ़ गया है। दिलचस्प है कि अमेरिकी हुकूमत ने ईरान को फिर से परमाणु समझौते के दायरे में लाने का ऐलान किया था।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की इस रिपोर्ट ते मुताबिक ईरान अपने नातांज प्लांट में यूरेनियम को संवर्द्धित करने के लिए तकनीकी रूप से उन्नत आइआर-2 एम सेंट्रीफ्यूज (Advanced IR-2M centrifuges) लगाने की योजना पर काम कर रहा है। जबकि पहले ईरान को आइआर-1 एम सेंट्रीफ्यूज लगाने की इजाजत दी गयी थी। जो कि सीमित और कम स्तर तक ही यूरेनियम संवर्द्धित करता था। सेंट्रीफ्यूज को बदलकर ईरान सीधे तौर पर परमाणु समझौते का उल्लंघन कर रहा है। आइआर-1 एम सेंट्रीफ्यूज परमाणु ऊर्जा से वैद्युतीय उत्पादन के काम आता है, जबकि आइआर-2 एम सेंट्रीफ्यूज का इस्तेमाल यूरेनियम आधारित एटॉमिक बम के लिए किया जाता है।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ईरान ने नातांज परमाणु संयंत्र (Natanj Nuclear Plant) में सेंट्रीफ्यूज वाले बॉक्सों को भेजा दिया है। आने वाले दिनों में सेंट्रीफ्यूज की तादाद को और भी बढ़ाया जा सकता है। हालांकि बीते दो दिसम्बर को ईरान ने IAEA ने इस बारे में सूचना दे दी थी। जिससे साफ हो गया कि, ईरान 2015 में अमेरिका से हुए परमाणु समझौते से हाथ पीछे खींच रहा है। नये निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंशा जाहिर करते हुए कहा था कि, अगर ईरान को पहले वाली शर्तों पर राजी होता है तो उसे फिर से परमाणु समझौते में शामिल किया जा सकता है।