न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): आंकड़े सफेद झूठ बोलते है। ऐसा सांख्यिकी पढ़ने वालों को पहले ही बता दिया जाता है। आंकड़ों को तोड़-मरोड़कर उसके कई तरह से मतलब निकाले जा सकते है। गिलास में आधा पानी है, तो इसे दूसरी तरह से ऐसे भी बताया जा सकता है। गिलास वाले पानी में आधी हवा भरी हुई है। जबकि वास्तविकता ये होती है कि गिलास आधे पानी और आधी हवा दोनों से ही भरा है। समझने और समझाने वालों का फेर है। ठीक इसी तरह की हरकत Indian Media हाल के ही दिनों में करता दिख रहा है। चूंकि Media Group कहीं ना कहीं आम जनता के लिए opinion Leader का काम करते है। ऐसे में वो किसी बात को तोड़-मरोड़ घुमा-फिराकर आम जनता के सामने रख देगें तो लोग उसे ही बह्म सत्य मनाने लग जायेगें। हालांकि इन दिनों लोगों में जागरूकता बढ़ी है, ऐसे में लोग कई Media Group’s की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे है, जो कि स्वस्थ और जीवन्त लोकतान्त्रिक प्रणाली के बेहद जरूरी है।
बीते सोमवार India Today Group ने एक ग्राफ जारी करते हुए बताया कि, पिछले 24 घंटों के दौरान 52,972 संक्रमण के नये मामले सामने आये है। इन आंकड़ों की वज़ह इंफेक्शन के मामले में भारत पहले पायदान काब़िज है। कहीं ना कहीं आंकड़ों की बाजीगरी कर Media Group इसे मोदी सरकार की नाकामी घोषित करने की कोशिश में दिखा। अगर उसे तटस्थ ढंग से खब़र दिखानी होती तो, इसके साथ ही उसे पिछले 24 घंटों के दौरान रिकवरी रेट और मृत्यु दर का ग्राफ भी प्रसारित करना चाहिए था। विश्व के अन्य देशों के मुकाबले भारत में संक्रमण से ठीक होने की दर कहीं ज़्यादा है। ठीक इसी तर्ज पर मृत्यु दर के आंकड़े काफी कम है।
जैसे ही कथित ग्राफ प्रसारित हुआ, ये तुरन्त सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जबकि तस्वीर को दूसरा रूख़ छिपा रह गया। ठीक पानी वाले गिलास की तरह। मीडिया समूह ये बताना भूल गया कि, देश का मौजूदा रिकवरी रेट 65.77 फीसदी है, और मृत्यु दर 2.11 प्रतिशत है। इस मामले में भारत का प्रदर्शन कई देशों के मुकाबले बेहतर है। अमेरिका में 3.28, ब्राजील में 3.44 फीसदी मृत्यु दर दर्ज की गयी है। दूसरी ओर एमेरिका में रिकवरी रेट 49.45 है और ब्राजील में 68.92 प्रतिशत लोग इंफेक्शन को मात दे चुके है।
अगर 4 अगस्त तक के वैश्विक आंकड़ों पर नज़र डाले तो अमेरिका में अब तक वायरस की चपेट में आने से 155478 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरे पायदान पर ब्राजील 94665 मौतों के साथ काब़िज है। इस फेहरिस्त में भारत 38938 मौतों के साथ पाँचवें पायदान पर है। ठीक इसी तरह कोरोना इंफेक्शन से रिकवरी रेट के मामले में ईरान ठीक हुए 2725535 मरीजों के साथ पहले पायदान पर है। इसी तरह ब्राजील दूसरे नंबर पर है, यहाँ 2098976 लोग संक्रमण को मात दे चुके है। इस सूची में 1230509 ठीक हुए लोगों के साथ चौथे नंबर पर शुमार है। इन आंकड़ों की प्रसारण टुडे ग्रुप ने क्यों नहीं किया। देश के कुछ मीडिया समूह आधी सूचना प्रसारित करके देश में आंतक और भय का माहौल क्यों बनाना चाह रहा है?
देश में अब तक तकरीबन 12 लाख से ज्यादा लोग कोविड के उपचार के बाद ठीक हुए हैं। पिछले 24 घंटों में देश में 40 हजार पांच सौ 74 कोविड-19 रोगी उपचार के बाद स्वस्थ हुए। कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ कर 18 लाख के पार पहुंच चुकी है। इस समय सिर्फ पांच लाख 79 हजार से ज़्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। देश में अब तक दो करोड़ से ज्यादा कोविड के नमूनों की जांच की जा चुकी है, जो एक रिकॉर्ड है। भारत में 6 जुलाई को जांच की संख्या एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गई थी। देश में अब 1,348 जांच प्रयोगशालाएँ हैं जिनमें 914 सरकारी और 434 निजी प्रयोगशालाएँ हैं।
अब बड़ा और अहम सवाल ये है कि, मीडिया समूह ने कोरोना से जुड़ी एकतरफा तस्वीर क्यों प्रसारित की। इसके साथ स्वस्थ होने की दर से जुड़े आंकड़े और डेथ रेट के आंकड़े क्यों नहीं प्रसारित किये गये। सिर्फ पिछले चौबीस घंटों में आये नये संक्रमण के केसों को तव़्जजों देकर उसे इतना वायरल क्यों किया गया। इस तरह की रिर्पोटिंग से देश की छवि खराब होती है। अन्तर्राष्ट्रीय मंचों अन्य देश भारत के मेडिकल स्ट्रक्चर, इंफेक्शन के खिलाफ तैयारियों को शंका की नज़रों से देखने लगते है। इससे वायरस इंफेक्शन की रोकथाम में लगे प्रशासनिक अमले, मेडिकल स्टॉफ और जुड़े अन्य संस्थाओं का मनोबल टूटता है। अब बड़ा और अहम सवाल ये है कि, क्या ये मामला मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए एकतरफा रिर्पोटिंग का हिस्सा है?