नई दिल्ली (शौर्य यादव): खांसी, गले में खराश और बदन दर्द के चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने खुद को क्वारंटीन कर लिया। सरसरी तौर पर ये कोरोना इन्फेक्शन (Corona infection) के लक्षण हो सकते हैं। जिसके चलते उन्होंने कई बड़ी बैठकों को टाल दिया। आज उनका कोरोना टेस्ट होगा। कई लोग उनके बीमार होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ये उनकी सोची-समझी प्लानिंग है, ताकि संक्रमित लोग दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ना जाकर घर पर ही अपना इलाज करें।
अगर लोग घर पर ही रह कर अपना इलाज खुद से करेंगे तो दिल्ली के सरकारी अस्पतालों पर दबाव नहीं बढ़ेगा। अस्पतालों पर दबाव बढ़ने के कारण राजधानी की डगमगाती हुई स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुलती जा रही है। जिसके कारण दिल्ली सरकार राजनैतिक आलोचनाओं का शिकार हो रही है।
कुछ घटनाओं को सिलसिलेवार तौर पर जोड़ें तो, केजरीवाल का एकाएक क्वारंटीन होना किसी योजना का हिस्सा लगता है। खुद को क्वारंटीन करके, वे दिल्ली के लोगों के सामने ठीक होने की मिसाल पेश करना चाहते हैं। ताकि उनकी प्रशासनिक और राजनीतिक साख पर किसी तरह का बट्टा ना लगे। इस बात की भविष्यवाणी ट्विटर पर संजीव झा ने बीती 29 मई को ही कर दी थी।
संजीव झा ने ट्वीट कर लिखा कि- दिल्ली के लोग बहुत जल्दी एक नाटक देखेंगे और सुनेंगे केजरीवाल खुद को जानबूझकर कोरोना पीड़ित बताकर लोगों को दिखाएंगे कि, कैसे बिना अस्पताल गये घर में कोरोना का इलाज कैसे सफलतापूर्वक किया जा सकता है। पहले भी वे इस तरीके का नाटक सफलतापूर्वक कर चुके है, खुद पर हमला करवाकर। मामले की दूसरी कड़ी केजरीवाल सरकार द्वारा जारी अखबारी विज्ञापन से जुड़ती है। जिसमें दिल्ली की जनता को इंफेक्शन होने पर सेल्फ आइसोलेशन होने की प्रक्रिया समझाई गई है। दिल्ली सरकार लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि, लोग घर पर ही लेकर अपना इलाज करें।
ट्विटर यूजर की भविष्यवाणी, सेल्फ आइसोलेशन के लिए बड़े पैमाने पर अखबारों में विज्ञापन, मरीजों को अपना इलाज खुद करने की हिदायत देना, और एकाएक बीमार पड़ जाना। ये सभी कड़ियां दिखाती है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली की खोखली स्वास्थ्य व्यवस्था को ढ़कने के लिए बड़ी मशक्कत कर रही है।
दिल्ली में फ़िलहाल 5,000 से भी कम टेस्ट हो रहे है। 28 मई को 7615 टेस्ट और 31 मई को 6045 टेस्ट किये गये थे। पिछले पांच दिनों में टेस्टिंग 38 प्रतिशत कम हो गयी है, जबकि केस लगातार बढ़ रहे हैं तो बार्डर सील करने की बजाय ज्यादा टेस्टिंग करने पर ध्यान देना चाहिए। फिलहाल राज्यों में टेस्टिंग की दर में कोई कमी नहीं आई है।
सेरो सर्वे में हुए दिलचस्प खुलासे
इस बीच आईसीएमआर की स्टडी में कुछ दिलचस्प खुलासे हुए हैं, स्टडी के मुताबिक- कंटेनमेंट इलाकों में 30 फ़ीसदी आबादी कोरोना संक्रमण से ग्रस्त होकर ठीक भी हो गई, मरीजों को इसका पता भी नहीं चला। इस तथ्य का खुलासा सेरो सर्वेक्षण के दौरान हुआ। इनमें ज्यादातर वो मरीज शामिल थे, जिन्हें संक्रमण के लक्षण उभरे ही नहीं। सर्वेक्षण के मुताबिक कंटेंनमेंट इलाकों में लोगों की प्रतिरोधक क्षमता वायरस के खिलाफ काफी बढ़ी है। आने वाले समय में लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित होगी।
फिलहाल दिल्ली में इंफेक्शन की दर देश के अन्य हॉटस्पॉट्स के मुकाबले 100 गुना है। सर्वे के मुताबिक देश में ऐसे लोगों की बड़ी आबादी है, जिनमें संक्रमण तो है पर लक्षण उभर नहीं पाते। ऐसे मरीजों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। सेरो सर्वेक्षण आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल द्वारा किया गया है।