टेक डेस्क (यामिनी गजपति): भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) की ओर से हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को दिये गये दृश्य उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ (VELC-Visible Emission Line Coronagraph) को आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान पर लगाया जायेगा। होसकोटे में IIA के सेंटर फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CREST) में इस VELC को बनाया गया है, जो कि आदित्य-L1 पर ले जाने वाला सबसे बड़ा पेलोड होगा। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान (Aditya-L1 Spacecraft) के साथ वीईएलसी के इंटीग्रेशन किये जाने के बाद अब ये कड़े परीक्षण से गुजरेगा।
बता दे कि आदित्य-एल1 भारत का पहला खासतौर से डिजाइन किया गया सोलर रिसर्च मिशन है। अपने एकमात्र पेलोड के तौर पर VELC के साथ ये मिशन मूल रूप से आदित्य-1 के नाम से जाना जाता है। 400 किलोग्राम कैटिगिरी की सैटेलाइट के साथ इसे 800 किलोमीटर दूर पृथ्वी की कक्षा में इसे स्थापित किया जाना है। इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पहले लैग्रेंजियन प्वाइंट (एल1) के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा (Halo Orbit) में तैनात किया जायेगा। पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित इस कक्षा से सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखा जा सकता है।
आदित्य-एल1 सैटेलाइट छह अतिरिक्त पेलोड अपने साथ सूर्य की इस कक्षा में ले जायेगा। इन पेलोड्स में मैग्नेटोमीटर, सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX), आदित्य के लिये प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज (PAPA), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS), हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS), और सोलर लो एनर्जी एक्स-रे खासतौर से शामिल है। इस मिशन की मदद से सूर्य से तयशुदा दूरी पर उसका व्यापक अध्ययन किया जा सकेगा। ये पेलोड विज्ञान और अनुसंधान के कई आयामों के बारे में सुलभ जानकारी देने में कारगर होगें।
आदित्य-इंटरनल एल1 का सौर कोरोनाग्राफ, जिसे वीईएलसी पेलोड के नाम से जाना जाता है, सोलर पार्टिकल के करीब स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री, इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी चैनलों को एक साथ ऑपरेट करने में सक्षम बनाता है। ये सौर प्रभामंडल के चुंबकीय क्षेत्र के निर्धारण के साथ-साथ सौर प्रभामंडल (Solar Cororna) की गतिशीलता, कोरोनल मास इजेक्शन की उत्पत्ति और इसके डायग्नोस्टिक मापदंडों के रिसर्च के लिये काफी अहम है।
ये मिशन इस साल अप्रैल या मई में लॉन्च किये जाने के लिये लगभग तैयार है। आदित्य-एल1 मिशन सूर्य और पृथ्वी पर उसके प्रभावों के बारे में मानवीय ज्ञान को अहम तौर पर आगे बढ़ायेगा। साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान और सौर अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के लिये ये बड़े कदम की अगुवाई भी करेगा।