न्यूज डेस्क (यर्थाथ गोस्वामी): कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) भगवान विष्णु के आठवें अवतार के जन्म का उत्सव है। ये दिन दुनिया भर के भक्तों द्वारा सजावटी झाँकियों, प्रार्थना, कीर्तन और उपवास के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को गोकुलाष्टमी (Gokulashtami) या श्री कृष्ण जयंती (Shri Krishna Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में त्यैहार को सतम अथम कहा जाता है और दक्षिण भारत में इसे अष्टमी रोहिणी (Ashtami Rohini) कहा जाता है।
भक्त इस दिन माखन, मिश्री और दूध चढ़ाकर लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) जी की पूजा करते हैं। भगवान कृष्ण की आध्यात्मिक शिक्षाओं को जीवन जीने का एक शानदार तरीका माना जाता है। उन्होंने दुनिया को भक्ति, कर्म और धर्म का पाठ पढ़ाया। कुरूक्षेत्र की लड़ाई के दौरान उन्होंने अर्जुन को कई जीवन पाठों से अवगत कराया, जिन्हें हम अपने जीवन में भी लागू कर सकते हैं।
कर्म का महात्मय
पवित्र ग्रंथ गीता में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) कहते हैं कि जब भी हम नैतिक दुविधा में हों तो हमें अपने कर्तव्य यानि धर्म पर ध्यान देना चाहिये। ऐसा इसलिये है क्योंकि भावनायें हमें कमजोर बनाती हैं और हम कर्तव्य पथ से भटक जाते हैं। भगवान कृष्ण के अनुसार धर्म प्रकृति में वस्तुनिष्ठ है और हमें अपनी व्यक्तिपरक भावनाओं को इसके रास्ते में नहीं आने देना चाहिये।
वर्तमान में जीना सीखें
भगवान कृष्ण के अनुसार जो होता है अच्छे के लिये होता है। अगर आप जीवन में किसी बुरे दौर से गुजर रहे हैं तो इसके पीछे एक कारण है और जो कुछ भी हालात आपके रास्ते में आये उसकी चिंता किये बगैर उसके स्वीकारे साथ ही उससे उबरने के सही रास्ते तलाशें। वर्तमान में जीना अहम है और भविष्य की चिंता न करें क्योंकि आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।
बेहतर हालात लाते है अच्छे कर्म
हिंदू शास्त्रों (Hindu scriptures) के अनुसार भगवान कृष्ण का मानना था कि ‘अच्छे कर्म वाले को कभी दुख नहीं होता। जो कोई भी अपने कर्तव्य का पालन करता है वो हमेशा भगवान कृष्ण की छत्रछाया में रहता है। हम अपने जीवन के दौरान जो चुनाव करते हैं, वो हमारे भाग्य का फैसला करते हैं और जो अच्छा चुनते हैं, वे हमेशा सुरक्षित रहते हैं।
कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता
भगवान कृष्ण कहते हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। आपको अपने काम से प्यार करना चाहिये और उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिये। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो बड़ा है या छोटा। अपनी नौकरी से असल में संतुष्ट होना और हर समय उसका सम्मान करना महत्वपूर्ण है।
सभी को होती है अच्छे दोस्त की दरकार
सुदामा (Sudama) के साथ भगवान कृष्ण की दोस्ती कुछ ऐसी है, जिसे हम सभी अपने दिलों में संजोय हुए हैं। एक दूसरे के साथ साझा किये गये बंधन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। शास्त्रों के अनुसार कृष्ण-सुदामा की दोस्ती प्यार और सम्मान के बारे में है। द्रौपदी (Draupadi) के साथ कृष्ण की मित्रता को भी अत्यधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि ये हमें मित्रता में विश्वास और एकता का महत्व के बारे में सिखाती है।