न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली) यूएस-मुख्यालय वाली ऑनलाइन रिटेलर अमेज़ॅन (online retailer Amazon) ने अगले सप्ताह डेटा संरक्षण बिल (data protection bill) पर संसद की संयुक्त समिति (Joint Parliament Committee) के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है। पैनल की अध्यक्ष और भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को कहा कि यह संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन है और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इस बीच, भारत की फेसबुक पालिसी हेड (Facebook’s policy head for India Ankhi Das) अंखी दास, शुक्रवार को डेटा सुरक्षा के मुद्दे पर पैनल के सामने पेश हुई, और राजस्व (revenue) और विज्ञापन मॉडल (advertising models), भर्ती प्रक्रिया (hiring process) के साथ-साथ कंपनी में “तटस्थता (neutrality)” पर सदस्यों द्वारा पूछताछ की गई। प्रश्नों के लिखित उत्तर प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया था। पैनल ने 28 अक्टूबर को ट्विटर (Twitter), Google और पेटीएम (Paytm) के अधिकारियों को डेटा सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) और प्राइवेसी के मुद्दों की जांच के तहत 29 अक्टूबर को तलब किया है।
“पैनल द्वारा एकमत राय देते हुए ई-कॉमर्स कंपनी अमेज़न के खिलाफ सरकार को जबरदस्त कार्रवाई करने का सुझाव दिया जा सकता है। गौरतलब है कि अमेजन ने 28 अक्टूबर को पैनल के सामने पेश होने से इंकार कर दिया है और अगर ई-कॉमर्स कंपनी की ओर से कोई भी पैनल पैनल के सामने नहीं आता है तो उसे विशेषाधिकार का हनन माना जायेगा।
अमेज़ॅन को 28 अक्टूबर को बैठक में भाग लेने के लिए कहा गया था, लेकिन अमेज़न ने 8 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में जवाब देते हुए पैनल के सामने पेश होने की असमर्थता व्यक्त की गई। पत्र में कहा गया कि क्योंकि अमेरिका से भारत के लिए कोई नियमित परिवहन नहीं है इसलिए कंपनी के प्रतिनिधि कैलिफोर्निया से नहीं आ सकते हैं। इस मामले से वाकिफ एक अन्य अधिकारी के अनुसार, अमेज़ॅन ने समिति को लिखा कि वह कोविद -19 महामारी के दौरान यात्रा से जुड़े जोखिमों के कारण उपस्थित नहीं हो पाएंगे।
बैठक में कई सांसदों ने लेखी को अमेज़ॅन को वापस पत्र लिखने और समिति के महत्व और परिणामों के बारे में बताने का सुझाव दिया। एक सांसद ने कहा कि “अमेज़न को पता होना चाहिए कि यह एक विकल्प नहीं है। संसद के नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं कि यदि किसी इकाई को पैनल के सामने पेश होने के लिए कहा जाता है, तो यह अनिवार्य है। यह संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा गठित एक समिति है।
वहीँ फेसबुक (Facebook) ने एक बयान में कहा कि उसने डेटा सुरक्षा की दिशा में प्रयासों का समर्थन किया। फेसबुक द्वारा दिए बयान में कहा गया कि “हम व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर संयुक्त समिति के माननीय सदस्यों के साथ डेटा विनियमन मुद्दों पर चर्चा करने के अवसर की गहराई से सराहना करते हैं। हम मानते हैं कि भारत के डेटा संरक्षण कानून में देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था और वैश्विक डिजिटल व्यापार को बढ़ावा देने की क्षमता है, और हम इस प्रयास का तहे दिल से समर्थन करते हैं। इसीलिए हम इस चर्चा का हिस्सा बनने के लिए गहराई से सराहना करते हैं और सही समाधान खोजने के लिए सरकारों और नियामकों के साथ काम करना जारी रखेंगे, जो न केवल उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता की रक्षा करते हैं, बल्कि अन्य प्रमुख वैश्विक गोपनीयता नियमों के लिए भी बेहतर हैं।