नई दिल्ली (आदर्श शुक्ला): जस्टिस एनवी रमन्ना (Justice NV Ramanna) के रिटायर होने के एक दिन बाद जस्टिस उदय उमेश ललित (Justice UU Lalit /Justice Uday Umesh Lalit) ने आज (27 अगस्त 2022) भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने सुबह राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति ललित को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलायी। वो न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना की जगह लेंगे, जो कि 26 अगस्त को रिटायर हुए थे।
न्यायमूर्ति रमना ने परंपरा और वरिष्ठता के मानदंडों का ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति ललित को उनके उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति ने बाद में जस्टिस ललित की नये CJI के तौर पर नियुक्ति को हरी झंडी दे दी। न्यायमूर्ति ललित का भारत की न्यायपालिका (Judiciary) के प्रमुख के तौर पर 74 दिनों का बेहद छोटा कार्यकाल होगा और वो 8 नवंबर को वो इस पद छोड़ देंगे।
न्यायमूर्ति रमन्ना के विदाई समारोह में कल (26 अगस्त 2022) न्यायमूर्ति ललित ने कहा था कि लगभग तीन महीने के अपने कार्यकाल के दौरान वो तीन प्रमुख क्षेत्रों की ओर ध्यान केंद्रित करेंगे और उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक मामलों की सूची को सरल, स्पष्ट और यथासंभव पारदर्शी बनाना होगा।
न्यायमूर्ति ललित ने एक स्पष्ट व्यवस्था सुनिश्चित करने का भी वादा किया है, जहां शीर्ष अदालत की संबंधित पीठों के समक्ष किसी भी जरूरी मामले का स्वतंत्र रूप से उल्लेख किया जा सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट में साल भर में कम से कम एक संविधान पीठ काम करेगी।
जस्टिस ललित ने कहा कि, “मैंने हमेशा माना है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की भूमिका स्पष्टता, निरंतरता के साथ कानून बनाने की है और इसे करने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि जहां भी मामलों को रखा जाता है, वहां जितनी जल्दी हो सके बड़ी बेंचें हों। इस तरह की बेंचें ताकि मुद्दों को तुरंत साफ किया जा सके, मामले में निरंतरता हो और लोगों को अच्छी तरह से पता हो कि कानून में अजीबोगरीब हालातों की रूपरेखा क्या है।”
रिटायर हुए CJI रमन्ना ने अपने आखिरी कार्य दिवस पर सभी लंबित मामलों को सूचीबद्ध करने में सक्षम नहीं होने के लिये माफी मांगी। उन्होनें कहा कि महामारी के कारण लंबित मामलों की सूची में एकाएक बड़ा उछाल आया है।
जाने Chief Justice of India UU Lalit के बारे में
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने से पहले न्यायमूर्ति ललित मशहूर वरिष्ठ अधिवक्ता थे। उन्हें 13 अगस्त 2014 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। जस्टिस ललित दूसरे CJI होंगे जिन्हें बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट की बेंच में प्रोन्नत किया गया था। जस्टिस एसएम सीकरी (Justice SM Sikri) जो कि जनवरी 1971 में 13वें CJI बने, वो मार्च 1964 में शीर्ष अदालत की बेंच में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे।
जस्टिस ललित का जन्म 9 नवंबर 1957 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के सोलापुर (Solapur) में हुआ था। उनके पिता यूआर ललित बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में अतिरिक्त जज और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील थे। न्यायमूर्ति ललित ने जून 1983 में वकील के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कराया था, जहां उन्होंने आपराधिक कानून (Criminal Law) में महारत हासिल की और 1983 से 1985 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) में प्रैक्टिस की।
उन्होंने जनवरी 1986 में अपनी प्रैक्टिस को दिल्ली (Delhi) में ट्रांसफर कर दिया और अप्रैल 2004 में उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। बाद में उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले (2G Spectrum Case) में सुनवाई के लिये सीबीआई (CBI) का विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) नियुक्त किया गया। 8 नवंबर को जस्टिस ललित के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किये जाने की उम्मीद है।