नई दिल्ली [ब्यूरो]: माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Honorable Supreme Court) ने कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) को करारा झटका देते हुए त्वरित प्रभाव से फ्लोर टेस्ट (Floor test) कराने के निर्देश दिये। गौरतलब है कि न्यायालय ने स्पीकर एनपी प्रजापति (Speaker NP Prajapati) सहित अन्य भाजपा नेताओं द्वारा दायर याचिका (filed petition) की सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ (Justice D.Y. Chandrachud) और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) की अध्यक्षता वाली न्यायिक खंडपीठ (Judicial bench) कर रही है। पीठ ने राज्य में कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) को बहुमत (Majority) सबित करने के साथ-साथ मुख्यमंत्री कमलनाथ, मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा के प्रमुख सचिव और राज्यपाल को नोटिस जारी किया। साथ ही बुधवार (18 फरवरी 2020) को अगली सुनवाई तक मामले को टाल दिया।
भाजपा की ओर से दलील देते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Senior Advocate Mukul Rohatgi) ने दावा किया कि- कमलनाथ की अगुवाई वाली मध्य प्रदेश सरकार अल्पमत में है, इसीलिए विधानसभा में तुरन्त ही फ्लोर टेस्ट कराना अतिआवश्यक है। विधानसभा में शक्ति परीक्षण (Strength test) कराने से जुड़ी याचिका पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) और राज्य के अन्य भाजपा नेताओं द्वारा दायर की गयी थी। मध्य प्रदेश भाजपा की ओर से ये मांग तब उठी थी। जब एकाएक राज्य में कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट (Political crisis) सामने आया था। एमपी कांग्रेस के दिग्गज़ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने भगवा बिग्रेड़ का दामन थाम लिया था।
याचिकाकर्ताओं (Petitioners) की दलील है कि, वे शीर्ष अदालत में जव़ाबदेह के तौर पर पहुँच रहे है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री इरादतन (Intentionally) संवैधानिक सिद्धांतों (Constitutional principles) को ताक पर रख रहे है। बीते 14 मार्च को राज्यपाल (Governor) के आदेशों की जानबूझकर नाफरमानी की गयी है। कहीं ना कहीं कमलनाथ इस कवायद का सहारा लेकर बहुमत साबित करने से बचना चाह रहे है।
दायर की गयी याचिका में कहा गया कि, सूबे के सबसे बड़े विपक्षी दल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन (Memorandum) सौंपा था। जिसमें राज्यपाल को कहा गया था कि, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत से जूझ रही है। साथ ही विधायकों की खरीद-फरोख्त भी हो सकती है। ऐसे में राज्यपाल को संविधान प्रदत्त शक्तियों (Constitutional powers) का इस्तेमाल करते हुए मुख्यमंत्री को विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करने का आदेश देना चाहिए।
सूबे के सियासी घटनाक्रम में तेजी से बदलाव आ रहा है। फिलहाल मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाहियों (Proceedings) को 26 मार्च 2020 बजट सत्र तक के लिए स्थगित किया गया है। सदन स्थगन (House adjournment) की कार्यवाही राज्यपाल के संबोधन के तुरंत बाद कोरोनोवायरस (Coronovirus) के प्रकोप के चलते रोक दी गयी थी। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन (Governor Lalji Tandon) ने कमलनाथ को चिट्ठी लिखकर 17 मार्च 2020 तक शक्ति परीक्षण कराने के निर्देश दिये थे।