न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): उत्तराखंड सरकार ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर वार्षिक कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) रद्द कर दी है। कांवरिया अपने-अपने क्षेत्रों में शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिए गंगा (Ganga) नदी से पानी ले जाने के लिए हरिद्वार (Haridwar) में जुटते हैं।
यह लगातार दूसरा साल है जब सरकार ने कांवड़ यात्रा रद्द की है। वार्षिक तीर्थयात्रा 25 जुलाई से शुरू होकर 6 अगस्त को समाप्त होने वाली थी।
पिछले साल भी राज्य सरकार ने Kanwar Yatra कर दी थी रद्द
पिछले साल यात्रा रद्द होने के कारण उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन से अपना जीवन यापन करने वालों को बुरी तरह से झटका लगा था। कांवड़ियों की वजह से साल के इस समय हरिद्वार और ऋषिकेश के मंदिरों के शहरों में होटल, आश्रम, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं भारी भीड़ से पटी होती थीं।
दो सप्ताह की कांवड़ यात्रा से हरिद्वार में 150 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन अब यह शून्य हो गया है। अगर कोई ऋषिकेश (Rishikesh), गौमुख (Gaumukh) और गंगोत्री (Gangotri) को सूची में शामिल करते है तो एक रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार प्रति वर्ष 500 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
कांवड़ यात्रा रद्द होने का असर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), दिल्ली (Delhi) और हरियाणा (Haryana) के उन व्यापारियों पर भी पड़ना तय है, जो मेले में लीज (lease) पर स्टॉल लेते थे। पर्यटन, विशेष रूप से धार्मिक पर्यटन, उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो महामारी से बुरी तरह प्रभावित है।