न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): Karnataka Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और दिग्गज भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ऐसे तीन चेहरे होंगे जो कि 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिये प्रचार अभियान की अगुवाई करेंगे। इसके अलावा इस फेहरिस्त जेपी नड्डा और राज्य भाजपा अध्यक्ष नलिन कटील (Nalin Kateel) भी शामिल है।
पार्टी के सूत्रों ने कहा कि राज्य इकाई की एकजुटता समेत राज्य में जाति और सत्ता के समीकरणों में विश्वास की भारी कमी की वजह से भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने से बच सकता है। हालांकि अगर पार्टी बोम्मई की अगुवाई में पार्टी बहुमत हासिल करती है तो वो शीर्ष पद पर बने रहेंगे।
भाजपा आने वाले चुनाव बड़ी चुनौती है, पार्टी नेतृत्व ने माना है कि बोम्मई अपने पूर्ववर्ती येदियुरप्पा (Yeddyurappa) की तरह लिंगायत समुदाय का विश्वास जीतने में सक्षम नहीं रहे हैं। येदियुरप्पा के लिंगायत समुदाय (Lingayat Community) के निर्विवाद नेता बने रहने की वजह से भाजपा उन्हें समुदाय के बीच अपना समर्थन आधार बनाये रखने के लिये सबसे आगे रखने के लिये बेबस है।
दूसरी ओर पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि, बोम्मई ने शिवमोग्गा हवाई अड्डे (Shivamogga Airport), बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे समेत कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया। बुधवार को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) ने जोर देते हुए कहा कि हमारा फोकस पार्टी के विकास के एजेंडे पर होगा। भाजपा की विकासोन्मुख राजनीति कांग्रेस (Congress) के नकारात्मक एजेंडे को हरा देगी। हमारे पास लोगों का समर्थन है, हमारे पास जमीनी स्तर पर समर्थन है। भाजपा सरकार ने पांच साल में एचआईआरए-राजमार्ग, इंटरनेट, रेलवे और हवाईअड्डे पर ध्यान केंद्रित किया और राज्य को काफी आगे बढ़ाया है।
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, बोम्मई सरकार के 2बी पिछड़े वर्ग श्रेणी के तहत मुस्लिम समुदाय को दिये गये चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के कोटा पूल में बदलने के फैसले से बड़ी मदद मिल सकती है। बीजेपी को हिंदू वोटों से मजबूत मिलती है।
हालांकि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करना अच्छा विचार नहीं होगा। वोक्कालिगा, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs) के वोटों जीतने के लिये संघर्ष कर रही भाजपा राज्य में सत्ता बरकरार रखने के लिये मुश्किलों का सामना कर सकती है, लेकिन अगर पार्टी 10 मई का चुनाव जीतती है तो वो लिंगायत समर्थन की नाफरमानी करने के हालातों में नहीं होगी। मौजूदा हालातों में भाजपा के पास मुख्यमंत्री बनाने के लिये बोम्मई के अलावा कोई अन्य प्रमुख लिंगायत चेहरा नहीं है।
अगर भाजपा बहुमत हासिल नहीं करती है और ऐसे हालातो में है जहां उसे छोटे दलों का समर्थन लेना पड़ता है तो सूबे की सियासी तस्वीर कुछ अलग ही होगी। असल में ये पैटर्न सीएम उम्मीदवार का कोई बड़ा अनुमान नहीं लगाता है। गुजरात और उत्तर प्रदेश को छोड़कर पार्टी ने जोश के साथ एक भी सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया है।
हालांकि जब भाजपा ने जीत हासिल की तो त्रिपुरा, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा (Manipur and Goa) में मौजूदा मुख्यमंत्रियों को कायम रखा गया। हालांकि, 2021 के असम चुनावों में भाजपा की सत्ता वापसी के बाद सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) को हिमंत बिस्वा सरमा से बदल दिया गया। लेकिन यहां हालातों बिल्कुल अलग थे, हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) सोनोवाल सरकार का हिस्सा थे और पार्टी की जीत में उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।