नई दिल्ली (शौर्य यादव): Delhi Govt. Budget: उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर राजकोषीय हित से जुड़े प्रस्तावित बजट पर प्रशासनिक प्रकृति की कुछ चिंताओं को उठाये जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते सोमवार (20 मार्च 2023) को आम आदमी पार्टी (AAP- Aam Aadmi Party) की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार से इन मामलों को दूर करने के लिये बजट को फिर से पेश करने का अनुरोध किया गया।
एमएचए ने कहा कि पिछले चार दिनों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के जवाब का इंतजार है। गृह मंत्रालय के साल 2023-23 के लिये वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) और साल 2022-23 के लिये पूरक मांगों का दूसरा और अंतिम बैच केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) को धारा 27(1) के प्रावधानों के तहत प्राप्त हुआ था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 30(1) इसे दिल्ली विधान सभा के समक्ष रखने के लिये भारत के राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के लिये रोका गया।
केंद्रीय गृहमंत्रालय ने आगे कहा कि- “उपराज्यपाल (Lieutenant Governor VK Saxena) दिल्ली ने प्रस्तावित बजट पर प्रशासनिक प्रकृति की कुछ चिंताओं को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के वित्तीय हित को ध्यान में रखते हुए उठाया था, जिस पर एमएचए ने 17 मार्च, 2023 के अपने खत के जरिये जीएनसीटीडी से बजट को फिर से पेश करने का अनुरोध किया है। आगे की कार्रवाई करने के लिये जीएनसीटीडी से जवाब पिछले चार दिनों से प्रतीक्षित है”।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली की जनता की भलाई के लिये दिल्ली सरकार को तुरंत जवाब दाखिल करना चाहिए। आम आदमी पार्टी की ओर से बीते सोमवार को आरोप लगाया गया कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के बजट 2023-24 को रोक दिया है, जिसके बाद केंद्र और दिल्ली में केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) जो कि कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं, अब फिर से एक नये विवाद में उलझझ गये है। आज (21 मार्च 2023) फिर से इसे दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) में पेश किया जाना है।
हालांकि गृह मंत्रालय के सूत्रों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि गृह मंत्रालय ने इसके बजाय दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है क्योंकि इसका बजट आवंटन (Budget Allocation) बुनियादी ढांचा क्षेत्र के बजाय विज्ञापन पर केंद्रित था। गृह मंत्रालय की बात पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली सरकार ने कहा कि इस साल के बजट आवंटन में विज्ञापन पर खर्च नहीं बढ़ाया गया है।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत (Delhi Finance Minister Kailash Gehlot) ने कहा कि- “केंद्रीय गृह मंत्रालय झूठ बोल रहा है। दिल्ली का कुल बजट 78,800 करोड़ रुपये है। इसमें से 22,000 करोड़ रुपये बुनियादी ढांचे के लिये हैं, जबकि सिर्फ 550 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किये जायेगें। पिछले साल भी विज्ञापन के लिये बजट इतना ही था। विज्ञापन बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है।”
इसी मुद्दे पर दिल्ली एलजी कार्यालय ने कहा कि वीके सक्सेना ने 9 मार्च को कुछ टिप्पणियों के साथ वार्षिक वित्तीय विवरण 2023-2024 को मंजूरी दी थी और फाइल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) को भेजी थी।
एलजी कार्यालय ने कहा था कि, “दिल्ली सरकार ने इसके बाद गृह मंत्रालय को एक खत भेजकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) की मंजूरी मांगी। गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को दिल्ली सरकार को अपनी टिप्पणियों से अवगत कराया। बजट 21 मार्च को पेश किया जाना था।”
उपराज्यपाल कार्यालय ने आगे कहा कि वो अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से फाइल भेजे जाने का इंतजार कर रहा है। गौरतलब है कि दिल्ली का बजट (Delhi Budget) गृह मंत्रालय के पास मंजूरी के लिये जाता है। जब गृह मंत्रालय बजट को मंजूरी देता है, तभी इसे दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाता है।