न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): केरल के पठानमथिट्टा जिले (Pathanamthitta District of Kerala) के सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर (Lord Ayappa Temple) के कपाट बुधवार (16 नवंबर 2022) को सालाना मंडलम-मकरविलक्कू उत्सव (Mandalam-Makaravilakku Festival) के लिये भक्तों के लिये खोल दिया, ये उत्सव दो महीने लंबे वार्षिक तीर्थयात्रा की शुरूआत का प्रतीक है। मुख्य पुजारी (मेलसंथी) ने मंदिर के पुजारी की मौजूदगी में मंदिर के गर्भगृह में उत्सव का उद्घाटन किया और इसी क्रम में आज पहाड़ी मंदिर में दीप प्रज्वलित किया गया।
41 दिवसीय मंडला सीजन आज मलयालम कैलेंडर के वृश्चिकम (Vrischikam) के महीने की शुरुआत के साथ शुरू हो रहा है और 27 दिसंबर को ये समाप्त होगा। इस बार भक्तों के लिये लाइव बुकिंग की सुविधा बनायी गयी है, इससे उन भक्तों को खासा आसानी होगी जो कि ऑनलाइन मोड से दर्शन स्लॉट बुक नहीं कर सके। के.जयरामन नंबूदरी (K. Jayaraman Namboodiri) ने सबरीमाला के मुख्य पुजारी के रूप में कार्यभार संभाला और हरिहरन नंबूदरी (Hariharan Namboodiri) ने मलिकप्पुरम मंदिर (Malikappuram Temple) के मुख्य पुजारी के तौर पर कार्यभार संभाला।
पिछले दो सालों से महामारी प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिये कोविड प्रोटोकॉल को वापस बढ़ाया गया था, लेकिन प्रतिबंधों को हटा दिया गया। राजस्व मंत्री के.राजन (Revenue Minister K.Rajan) के मुताबिक अधिकारियों को उम्मीद है कि इस साल कम से कम 40 लाख भक्त मंदिर आयेगें। अब तक के वर्चुअल क्यू रजिस्ट्रेशन के मुताबिक करीब 50,000 भक्तों के आने की उम्मीद है।
बीते साल कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से ही मंदिर प्रवेश की मंजूरी दी गयी थी। त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB- Travancore Devaswom Board) शीर्ष मंदिर निकाय पहाड़ी मंदिर के कामकाज का प्रबंधन करता है। 14 जनवरी, 2023 को मकरविलक्कू तीर्थयात्रा (Makaravilakku Pilgrimage) के लिये मंदिर 30 दिसंबर को फिर से खुल जायेगा। इसके बाद तीर्थयात्रा के मौसम का समापन करते हुए 20 जनवरी को मंदिर बंद कर दिया जायेगा।
सबरीमाला श्री धर्म संस्था मंदिर जो कि भगवान अयप्पा को समर्पित है, केरल के सभी संस्था मंदिरों में सबसे मशहूर और प्रमुख है। मंदिर पहाड़ी की चोटी (समुद्र तल से लगभग 3000 फीट ऊपर) पर बना हुआ है और सभी धर्मों के लोगों के लिये खुला है। बता दे कि मंदिर पूरे साल नहीं खुला रहता है, लेकिन केवल मंडलपूजा, मकरविलक्कू और विशु के दिनों में और हर मलयालम महीने के पहले दिन पूजा के लिये खुलता है।
ऐसा कहा जाता है कि तीर्थयात्रियों को सबरीमला (Sabarimala) जाने से पहले 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। तीर्थयात्री पारंपरिक जंगली रास्तों के साथ-साथ पम्बा से भी जाते हैं। श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुँचने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।