न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): बिहार के खगड़िया (Khagaria) में दो सरकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में करीब 24 गांवों की महिलायें नसबंदी कराने पहुँची थी, जहां उन्हें कथित तौर पर एनेस्थीसिया (Anaesthesia) के बिना गर्भावस्था को रोकने के लिये सर्जिकल प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिससे कि वो जाग गयी और ऑपरेटिंग टेबल पर दर्द से कराह उठीं। बता दे कि ट्यूबेक्टॉमी (नसबंदी) के लिये स्टैटर्डं प्रैक्टिस के दौरान लोकल एनीस्थीसिया को दिया जाना जरूरी होता है।
खगड़िया के डीएम आलोक रंजन घोष (DM Alok Ranjan Ghosh) ने डरावनी घटना से गुजरने का दावा करने वाली महिलाओं के बयानों की बुनियाद पर बीते बुधवार (16 नवंबर 2022) को एक जांच बिठायी। अलौली हेल्थ सेन्टर (Alauli Health Center) में इस प्रक्रिया से गुजरने वालों में से एक कुमारी प्रतिमा ने कहा कि, “जब मैं दर्द से चीखी तो चार लोगों ने मेरे हाथ और पैर कसकर पकड़ लिये, क्योंकि डॉक्टर ने काम पूरा कर लिया था। मुझे कुछ ऐसा दिया गया था, जिससे मैं सर्जरी के बाद ही सुन्न हो गयी थी।”
एक अन्य महिला ने कहा कि वो पूरी सर्जरी के दौरान होश में थी। उसने अपनी शिकायत में कहा कि, “जब सर्जिकल ब्लेड ने मेरे शरीर को छुआ तो मुझे बहुत दर्द हुआ।”
नसबंदी कैंप में कुल 53 महिलाओं को लाया गया था। कैंप सरकार और एनजीओ के सौजन्य से लगाया गया था, जहां फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tubes) को सर्जिकल प्रोसीजर से काटा जाना था। मामले को लेकर डीएम घोष ने मीडिया से कहा कि- “मैंने सिविल सर्जन से मामले की जांच करने और जल्द ही रिपोर्ट देने को कहा है।”
सिविल सर्जन डॉ.अमरनाथ झा (Civil Surgeon Dr.Amarnath Jha) ने कहा कि उन्होंने दोनों स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। जवाबदेही तय होते ही सख्त कार्रवाई शुरू की जायेगी।
अलौली के स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि उन्होंने नसबंदी की पहल करने वाले एनजीओ ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव (NGO Global Development Initiative) की शिकायत मिलने के बाद उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया था।
परबट्टा स्वास्थ्य केंद्र (Parbatta Health Center) के प्रभारी डॉ. राजीव रंजन ने दावा किया कि एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन संभवत: कुछ महिलाओं पर ये काम नहीं कर रहा था। उन्होनें कहा कि “एनेस्थीसिया की जरूरी खुराक प्रत्येक महिला को दी गयी थी, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हुई क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का तंत्र इसका अलग असर होता है”
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कथित तौर पर प्रत्येक नसबंदी के लिये एनजीओ को 2,100 रूपये का भुगतान किया।
बता दे कि ऐसी ही एक घटना अररिया जिले (Araria District) में साल 2012 में हुई थी, जब दो घंटे के दौरान ही 53 ग्रामीण महिलाओं की नसबंदी की गयी थी। महिलाओं की जान जोखिम में डालकर बिना एनेस्थीसिया के उनकी सर्जरी करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।