नई दिल्ली (अमित त्यागी): Khalistan Movement: राजनयिक निष्कासन और कनाडा (Canada) की जमीन पर एक खालिस्तानी की हत्या में भारत सरकार की कथित भूमिका के आरोप के साथ कनाडा और भारत के बीच तनाव नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। ये विवाद सिख स्वतंत्रता या खालिस्तान आंदोलन पर केंद्रित है।
नई दिल्ली ने कनाडा पर बार-बार उस आंदोलन का समर्थन करने का आरोप लगाया है, जो कि भारत में पूरी तरह से बैन है लेकिन सिख प्रवासियों के बीच इसका भारी समर्थन है। बीते सोमवार (18 सितंबर 2023) को कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो (Prime Minister Justin Trudeau) ने संसद में उन आरोपों का जिक्र किया, जिस पर उन्होनें कहा कि भारत हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या में सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था। मामले को लेकर भारत सरकार ने निज्जर की हत्या में अपना हाथ होने से साफ इनकार किया, साथ ही ये भी कहा कि कनाडा वहां के खालिस्तान कार्यकर्ताओं से ध्यान हटाने की लगातार कोशिश कर रहा है।
जानें आखिर क्या है खालिस्तानी आंदोलन?
ये भारत का सिख स्वतंत्रता आंदोलन जो कि आखिर में खूनी हथियारबंद विद्रोह बन गया, जिसने 1970 और 1980 के दशक में भारत को हिलाकर रख दिया। इसका केंद्र उत्तरी पंजाब (North Punjab) राज्य था, जहां सिख बहुसंख्यक हैं, हालांकि सिख भारत की आबादी का लगभग 1.7% हैं। ये विद्रोह एक दशक से अधिक समय तक चला और भारत सरकार ने सैन्य कार्रवाई कर इसे दबा दिया, जिसमें प्रमुख सिख नेताओं समेत हजारों लोग मारे गए। पुलिस कार्रवाई के दौरान सैकड़ों सिख युवा भी मारे गये, जिनमें से कई हिरासत में थे या गोलीबारी के दौरान मारे गए थे।
साल 1984 में भारतीय सेना ने अमृतसर में सिख धर्म के सबसे पवित्र मंदिर, श्री हरिमंदिर साहिब (Sri Harmandir Sahib) स्वर्ण मंदिर पर धावा बोल दिया, ताकि वहां शरण लिये हुये अलगाववादियों को बाहर निकाला जा सके। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) में लगभग 400 लोग मारे गये, लेकिन अलगाववादी सिख समूहों का कहना है कि उस दौरान हजारों लोग मारे गए। मृतकों में सिख उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाला (Jarnail Singh Bhindranwala) भी शामिल था, जिस पर भारत सरकार ने सशस्त्र विद्रोह की नेतृत्व करने का आरोप लगाया था।
31 अक्टूबर 1984 को मंदिर पर छापे का फरमान जारी करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की उनके दो अंगरक्षकों जो कि सिख थे, ने हत्या कर दी थी। उनकी मृत्यु ने सिख विरोधी दंगों का एक लंबा सिलसिला शुरू हो गया, जिसमें दंगाइयों की भीड़ ने पूरे उत्तर भारत में खासतौर से नई दिल्ली में सिखों को उनके घरों से निकाल निकालकर मार डाला, कई सिख महिलाओं का बलात्कार किया गया और साथ ही कई सिख परिवारों को जिंदा जला दिया।
अभी भी एक्टिव है खालिस्तानी आंदोलन?
आज पंजाब में कोई सक्रिय विद्रोह नहीं है, लेकिन खालिस्तान आंदोलन के अभी भी राज्य में कुछ समर्थक हैं, साथ ही भारत के बाहर बड़े पैमाने पर सिख प्रवासी भी हैं। भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में बार-बार चेतावनी दी है कि सिख अलगाववादी वापसी की कोशिश कर रहे हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सरकार ने भी सिख अलगाववादियों की धरपकड़ तेज कर दी है और आंदोलन से जुड़े विभिन्न संगठनों के दर्जनों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है।
जब किसानों ने डेरा डाला साल 2020 में विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध करने के लिये नई दिल्ली की सीमाओं पर मोदी सरकार ने चेतावनी जारी कर खुलासा किया था कि कृषि आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी एजेंडा एक बार फिर तूल पकड़ रहा है। बहरहाल बाद में मोदी सरकार ने विवादस्पद कृषि कानूनों (Controversial Agricultural Laws) को वापस ले लिया। इस साल की शुरुआत में भारतीय पुलिस ने एक अलगाववादी नेता को गिरफ्तार किया था, जिसने खालिस्तानी आंदोलन में फिर जान फूंकने की कोशिश की थी, जिसके चलते पंजाब में हिंसा की आशंका जतायी गयी थी।
30 वर्षीय उपदेशक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने अपने भड़काऊ भाषणों से देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। उसने दावा किया कि उसे भिंडरावाले से प्रेरणा मिली है।
भारत की सीमाओं से बाहर कितना मजबूत है खालिस्तानी आंदोलन?
भारत कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन (Australia and Britain) जैसे देशों से अलगाववादी खालिस्तानियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिये लगातार कह रहा है और पीएम मोदी ने निजी तौर पर इन देशों के प्रधानमंत्रियों के सामने इस मुद्दे को उठाया है। नई दिल्ली ने खासतौर से कनाडा के साथ इस मामले को उठाया है, जहां सिख देश की आबादी का लगभग 2% हैं। इस साल की शुरुआत में सिख प्रदर्शनकारियों ने लंदन (London) में भारत के उच्चायोग पर तिरंगे को उतार दिया और अपने गुस्से का प्रदर्शन करते हुए इमारत की खिड़की को तोड़ दिया।
अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास की खिड़कियां भी तोड़ दीं और दूतावास के कर्मचारियों के साथ हाथापाई की। भारत के विदेश मंत्रालय ने इन घटनाओं की निंदा की और लंदन में भारतीय दूतावास में सुरक्षा के उल्लंघन के विरोध में नई दिल्ली में ब्रिटेन (Britain) के उप उच्चायुक्त को तलब किया गया।
भारत सरकार ने कनाडा में खालिस्तान समर्थकों पर भारत विरोधी भित्तिचित्रों के साथ हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करने और मार्च में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान ओटावा (Ottawa) में भारतीय उच्चायोग के कार्यालयों पर हमला करने का भी आरोप लगाया। बता दे कि पिछले साल पाकिस्तान में सिख उग्रवादी नेता और खालिस्तान कमांडो फोर्स (Khalistan Commando Force) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवार (Paramjeet Singh Panjwar) की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी।