नई दिल्ली (शौर्य यादव): उच्च न्यायालय द्वारा समिति के गठन के बाद आज पहली बार किसान नेता (Kisan Leader) केन्द्र सरकार की प्रतिनिधियों के साथ 9 वें दौर की वार्ता करने जा रहे है। किसानों का मानना है कि इस बैठक से कोई हल नहीं निकलेगा। फिलहाल किसान संगठनों के सभी प्रतिनिधि विज्ञान भवन पहुँच चुके है। किसान संगठन साफ कर चुके है कि तीनों कानून वापस लेना ही गतिरोध खत्म करने का हल है। इस वार्ता के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल (Panel constituted by Supreme Court) से होने वाली बैठक 19 जनवरी को होने की संभावना है। ऐसे में किसान संगठन भी पेशोपेश में है कि दोनों तरफ बैठक करने की रणनीति कितनी कारगर होगी? या फिर किससे बैठक करे या किससे नहीं?
इस मौके पर किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां ने कहा कि- हम सरकार के साथ जरूर बातचीत करेगें। लेकिन इस बैठक से हमें बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं है। हमें पुख़्ता तौर पर पता है कि 9वें दौर की वार्ता के दौरान केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर तैयार समिति से बातचीत का हवाला देगें। केन्द्र हमारी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। उनकी मंशा से लगता है कि हालात जैसे है, वैसे ही बने रहे। किसानों को कोई कमेटी नहीं चाहिए। हमारी मुद्दे साफ है तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी (MSP) के लिए कानून इससे कम में कोई बात नहीं।
इस बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों को मोदी सरकार का अहम कदम माना है। आईएमएफ के मुताबिक ये कानून कृषि क्षेत्र में काफी बड़े और व्यापक बदलाव लायेगें। लेकिन इसे लागू पहले सरकार को किसानों के लिए ज़्यादा सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। इनसे एग्रीकल्चर सैक्टर (Agriculture sector) में बड़े बदलाव आ सकते है। हालांकि इनसे किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। जिसके लिए सरकार की ज़मीनी हालातों को समझते हुए कुछ और नीतियां बनानी होगी।