न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): लगभग एक साल के निरंतर जारी विरोध (Kisan Andolan) के बाद देश के विभिन्न हिस्सों के किसान बीते रविवार (5 सितंबर 2021) किसान महापंचायत के लिये उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में इकट्ठा हुए। जहां केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Three controversial agricultural laws) के खिलाफ सभा आयोजित की गयी। इस किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) का आयोजन मुजफ्फरनगर के शासकीय इंटर कॉलेज मैदान में किया गया।
भारत के 15 राज्यों के 300 से ज़्यादा किसानों ने इस महापंचायत में शक्ति प्रदर्शन करने के लिये हिस्सा लिया। किसानों ने ये भी कहा कि अगर केंद्र उनकी मांगों को पूरा नहीं करता है तो वे अपना विरोध जारी रखेंगे और आखिर में भारत बंद पर जोर देंगे।
सामने आयी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक किसान नेताओं ने कहा कि, “उन्होंने (केंद्र ने) कहा कि केवल कुछ मुट्ठी भर किसान विरोध कर रहे हैं। आइये यहां देखें कि आज यहां क्या मुट्ठी भर है। आइये हम अपनी आवाज उठायें ताकि ये संसद (Parliament) में बैठे लोगों के कानों तक पहुंचे।”
आगे किसान नेताओं ने कहा कि सभी जातियों, धर्मों, राज्यों, वर्गों, छोटे व्यापारियों और समाज के सभी वर्गों के लोग उनके समर्थन में साथ खड़े हैं। किसान पिछले साल अगस्त से विरोध कर रहे हैं और अपनी ताकत दिखाने के लिये इस महापंचायत का आयोजन किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि, "महापंचायत आज मोदी और योगी सरकार को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की ताकत का एहसास करायेगी। मुजफ्फरनगर महापंचायत पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी।”
किसानों ने आगे दोहराया कि अगर केंद्र सरकार उनकी मांगों की अनदेखी करती रही तो वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आगामी चुनावों में सत्ताधारी पार्टी भाजपा (Ruling Party BJP) के खिलाफ प्रचार करेंगे और 2024 में लोकसभा चुनाव तक अपना विरोध जारी रखेंगे।
महापंचायत में शामिल हुए भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेता "दंगा कराने वाले" हैं और उन्हें 2022 के यूपी चुनाव में हरा दिया जाना चाहिए। योगी सरकार (Yogi Sarkar) पर निशाना साधते हुए राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमतों के बारे में बात की।
उन्होनें कहा कि- “ये (मुजफ्फरनगर) गन्ना पट्टी है। एक सरकार थी जिसने गन्ने की कीमत 80 रुपये बढ़ा दी थी, जबकि दूसरी सरकार ने 50 रुपये बढ़ायी। क्या आदित्यनाथ सरकार इन दोनों सरकारों से कमजोर है? इसने कीमत में एक रुपये की भी बढ़ोत्तरी नहीं की”
पंजाब के कई किसान संघों (farmers unions) ने ये भी मांग की है कि राज्य सरकार 8 सितंबर तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सभी आरोप और मामले वापस ले ले। यूनियनों ने आगे कहा कि अगर आरोप नहीं हटाये गये तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जायेगा।
जब से तीन कृषि कानूनों को लेकर विरोध शुरू हुआ है केंद्र सरकार ने किसान नेताओं के साथ तीन दौर की बातचीत की है। फिलहाल उन वार्ताओं से कोई समाधान या मौजूदा गतिरोध खत्म करने में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।