नई दिल्ली (शौर्य यादव): किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की आड़ में दिल्ली की सीमाओं पर बने गतिरोध को खत्म करने के लिए, आज केंद्र सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की वार्ता होगी। इस बैठक से ठीक पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर एक हाई लेवल मीटिंग (High level meeting) बुलाई गई है। जिसमें आगामी रणनीति पर चर्चा की जा रही है। केंद्र सरकार किसी भी हालात में इन आंदोलनकारियों का प्रदर्शन खत्म करना चाहती है। खासतौर से गणतंत्र दिवस समारोह से पहले। इसी के चलते नानकसर गुरुद्वारे के प्रमुख ग्रंथी बाबा लक्खा सिंह ने बीते गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री से बैठक कर मामले में मध्यस्थता करने की पेशकश की।
सूत्रों के मुताबिक माना जा है कि, सरकार किसानों के सामने आपसी सहमति बनाने का कोई नया फार्मूला पेश कर सकती है। जिसके तहत माना जा रहा है कि, मौजूदा तीनों कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए एक खास विशेषज्ञ समिति (expert committee) का गठन किया जा सकता है। इसके साथ ही विरोध प्रदर्शनों में शामिल आंदोलनकारियों की पृष्ठभूमि देखते हुए उनके राज्यों को कुछ खास रियायतें दी जाये या फिर कानूनों को लागू करने के मसले पर राज्य सरकारों की भूमिका को अहम दायित्त्व सौंपे जाये। जिसके लिए ऐतराज जताने वाले प्रदेशों के किसानों को सूचीबद्ध किया जा सकता है। ये आठवें दौर की वार्ता होगी। छठें दौर (30 दिसंबर) की वार्ता को छोड़कर सभी वार्तायें तकरीबन बेनतीज़ा रही।
वामपंथी ताकतों के सिर ठीकरा फोड़ते हुए केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि, दोनों पक्ष वार्ता के माध्यम से मसले को हल कर सकते है, लेकिन वामपंथी राजनीति (Leftist politics) इसे हल नहीं होने देना चाहती है। सरकार कानूनों में सुधार के लिए खुले दिल से तैयार है। उम्मीद है कि, किसान इस बात को अच्छे से समझेगें। अगर किसान समाधान की मानसिकता लेकर आयेगें तो समाधान अवश्य होगा। कानून में संशोधन क्लॉज बाई क्लॉज कर समाधान ढूढ़ लिया जायेगा। आज की बैठक को लेकर विभिन्न किसान गुट काफी उम्मीद में है कि, हल निकाल लिया जायेगा।
गौरतलब है कि द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट 2020, द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट 2020 को किसान रद्द करवाना चाहते है। दूसरी ओर सरकार हर बैठक में संशोधन की पैरवी कर रही है। साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारन्टी के लिए कानून बनवाना चाहते है। जिसे लेकर 44 दिनों से लगातार गतिरोध बना हुआ है।