Kisan Andolan: भारत ने किया ब्रिटिश राजदूत को तलब़, ब्रिटिश सांसदों को भी दी हद में रहने की नसीहत

नई दिल्ली (शौर्य यादव): भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज करवाते हुये बीते मंगलवार दिल्ली में ब्रिटेन उच्चायुक्त के राजदूत एलेक्स एलिस कृषि कानूनों और किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के मुद्दे पर डिबेट् करने के लिए तलब़ किया। हाल में इन कानूनों के खिलाफ ब्रिटेन की संसद में चर्चा हुई थी, साथ ही इनके खिलाफ माहौल तैयार करने के लिये ब्रिटेन के कॉमन्स वेस्टमिंस्टर हॉल में एक बैठक आयोजित की गयी थी। जिसके बाद तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ ई-याचिका अभियान शुरू हुआ।

भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने ब्रिटिश संसद में भारत में “कृषि सुधारों” पर चर्चा करना विरोधाभासी कार्रवाई और दुर्लभ राजनयिक घटनाक्रम माना। मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि ये कवायद लोकतांत्रिक देश की राजनीति में पूरी तरह से बाहरी हस्तक्षेप का प्रतिनिधित्व (Representation of external interference) करता है। ऐसे में ब्रिटिश सांसदों को घटनाओं को गलत तरीके से उछालकर बैंक की राजनीति करने से बचना चाहिए।

भारत की ओर से की गयी टिप्पणी में कहा गया कि ये पहली बार नहीं है। जब इस तरह के घटनाक्रम हुये हैं। अतीत में भी वेस्टमिंस्टर हॉल में इसी तरह की चर्चा देखी गई थी। चर्चा में कई ब्रिटिश सांसदों को भारत के खिलाफ बोलते हुए देखा गया। जिसमें पाकिस्तान मूल के ब्रिटेन के सांसद खालिद महमूद और तनमनजीत सिंह ढेसी शामिल थे।

ब्रिटिश सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने कृषि कानूनों को बेरहम और बेदर्द बताया था। लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन इसे कृषि कानूनों की आड़ में औद्योगिक विवाद (industrial dispute) तक बता चुके है। ब्रिटिश सरकार में एशिया मामलों के राज्य मंत्री निगेल एडम्स ने एक चर्चा के दौरान ब्रिटिश सांसदों के रवैये पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवायी और कहा कि कृषि सुधार भारत के आंतरिक मामले हैं।

ऐसे में सांसदों का रवैया बेहद निराशाजनक है। जिसके बाद दोनों मुल्कों के बीच आला दर्जें के राजनयिक समझ देखी गयी। इस साल के आखिर में ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात जी 7 शिखर सम्मेलन में हो सकती है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर उस बीच गंभीर चिंतन हो सकता है।

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