न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): बीते रविवार उत्तरी पंजाब के बरनालामेंकिसान आंदोलन (Kisan Andolan) के समर्थनमें लाखों की भीड़ जुटी। जहां लोगों ने एक सुर में हुंकार भर ना झुकने की मंशा जाहिर की। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से बाहर पहली बार इतना बड़ा जनसमर्थन देखा गया। इस जमावड़े में कई बड़े किसानों के साथ खेती मजदूर भी शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान किसान यूनियन के नेताओं ने आगामी 27 फरवरी को दिल्ली में बड़े पैमाने पर इकट्ठा होने का आवाह्न किया।
दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनकारी किसानों को डेरा डाले हुए लगभग तीन महीने हो गये है। ऐसे में कई नेशनल मीडिया चैनल किसान आंदोलन के कमजोर पड़ने की खब़रे काफी जोर से चला रहे है, लेकिन बरनाला की अनाज मंडी के पास हुए इस कार्यक्रम को देखकर नहीं लगता है कि आंदोलनकारी पीछे हटने के मूड में है। दिलचस्प ये भी है कि इस कार्यक्रम की कवरेज के लिए कई भारतीय मीडिया संस्थान सहित अन्तर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी के संवाददाता (International news agency correspondent) मौके पर मौजूद दिखे।
इस मौके पर प्रमुख किसान नेता जोगिंदर उगरान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, हम पंजाब के किसानों को दिल्ली में हो रहे आंदोलन के बारे में जागरूक करने के लिए आए है। हम उन्हें बताने आए कि वहां क्या हो रहा है और आगे क्या होगा। इस कार्यक्रम में शिरकत करने को लिए कई महिला आंदोलनकारी भी मौके पर पहुँची। किसान आंदोलन के समर्थकों का हुजूम बस, ट्रैक्टरों, ट्रेलरों और कारों में सवार होकर बरनाला की अनाज मंडी में पहुँचा। पंजाब पुलिस (Punjab Police) के मोटे अनुमान के मुताबिक करीब 120,000 से 130,000 लोगों की भीड़ वहां एकजुट हुई। इसे तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे बड़ी रैलियों में से एक माना जा रहा है।
इस मौके पर टेड्रीं न्यूज ने किसान बलजिंदर सिंह (उम्र 52 साल) से बातचीत की, उन्होनें कहा कि वो 30 किलोमीटर का सफर करने कार्यक्रम में पहुँचे है। साथ ही वो चाहते है कि मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए काले कानूनों को निरस्त किया जाए। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आंदोलन को लंबा खींचने के लिए सीधे तौर पर विपक्ष को दोषी ठहराया। साथ ही दावा किया कि सरकार नेकनीयती के साथ किसानों से बातचीत और खुली चर्चा के लिए तैयार है।