नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन (Kisan Andolan) में अब दिलचस्प मोड़ आ चुका है। अब भारतीय जांच एजेंसियों की नजर स्वीडिश एनवायरमेंटल एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की ओर टिक गयी है। सारे मामले का खुलासा आंदोलन भड़काने वाली टूल किट से हुआ, जो कि ग्रेटा थेनबर्ग ने गलती से ट्विटर पर साझा कर दिया था। इस टूल किट में काफी विस्तृत जानकारियां थी कि, किसान आंदोलन को कब, कितना और किस तरीके से मोबाइलाइज़ किया जाना चाहिए।
ताजा हुए खुलासा में पता लगा है कि इसमें अलगाववादी संगठन खालिस्तान का हाथ है। किसान आंदोलन की आड़ में वो ग्रेटा थेनबर्ग की मदद से खालिस्तानी एजेंडे को एक बार फिर से तूल देने की फिराक में है। इस घटना के पीछे खालिस्तानी समूह बेस्ड पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन का हाथ पाया गया है। इस संस्था का संस्थापक मो धालीवाल है, जो कि कनाडा के वैंकूवर में रहता है। कई मौकों पर कई मंचों पर वो खालिस्तान के समर्थन में तकरीरें देता आया है। मौजूदा हालातों में वो किसान आंदोलन को सिख अस्मिता और खालिस्तानी एजेंडे से जोड़ना चाहता है।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को एक वीडियो क्लिप मिली है। जिसमें धालीवाल किसान आंदोलन के जनसमर्थन जुटाने और खालिस्तानी एजेंडे को बढ़ाने की बात कह रहा है। वीडियो में धाली कृषि कानूनों की वापसी के साथ जंग की शुरूआत करने की बात कह रहा है। किसान आंदोलन से निकली सरकारी विरोधी लहर का इस्तेमाल करते हुए, वो खालिस्तान आंदोलन को हवा देने की कोशिश करता दिखा। कथित वीडियो बीती 26 जनवरी का है। जिसे कनाडा में भारतीय कांसुलेट (Indian Consulate) के बाहर प्रदर्शन के दौरान फिल्माया गया।
इस वीडियो के आने के बाद पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन, सिख फॉर जस्टिस और खालसा एड जैसी संस्थायें जांच एजेंसियों के रडार पर है। ग्रेटा थेनबर्ग के टूल किट की जानकारी ट्विटर पर सार्वजनिक होने के बाद से ही पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन और मो धालीवाल नाम सामने आया। खुलासा होने पर ग्रेटा ने उस कथित ट्विट को डिलीट कर ताजा ट्विट जारी किया। जिसमें नया अपडेटिड टूल किट अपलोड किया गया था। छानबीन के दौरान दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियां इसे बनाने वाले का बैकग्राउंड और उसके इरादों को खंगाल रही है। इसे दुष्प्रचार और केन्द्र सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने की कवायद माना जा रहा है।
कथित वीडियो में धालीवाल भीड़ को संबोधित किसान की आड़ में 1970 के दशक की उम्मीद (स्वायत्ता पूर्ण खालिस्तान) का सपना सच होने की बात कह रहा है। उसके मुताबिक अगर ये उम्मीद उसी दौर में पूरी हो जाती तो आज इतना बड़ा आंदोलन ना करना पड़ता। साथ ही वो लोगों से खालिस्तान के बारे में जागरूकता फैलाने की अपील करता भी नज़र आया। उसने पंजाब की पवित्रता और आजादी के लिए एकजुट होने का आवाह्न किया।
खुफ़िया एजेन्सियों को मिली रिपोर्ट के मुताबिक किसान आंदोलन में कई अलगाववादी ताकतों ने अपना कब़्जा कर लिया है। जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर फंडिंग की जा रही है। फिलहाल अलग-अलग खालिस्तानी अलगाववादी समूहों की निशानदेही की जा रही है। इसी क्रम में दिल्ली पुलिस ने 300 ट्विटर हैंडल का पहचान की है। जो कि इस मुद्दे को लेकर भड़काऊ ट्विट और नैरेटिव (Narrative) तैयार कर रहे है। धालीवाल और ग्रेटा थेनबर्ग इस मुद्दे पर कब और कैसे एकमत हुए, इसे भी तलाशा जा रहा है। फिलहाल इस खुलासे से ग्रेटा थेनबर्ग दुनिया भर में बेनकाब हो चुकी है।