नई दिल्ली (शौर्य यादव): दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आज (22 जुलाई 2021) से विरोध प्रदर्शन (Kisan Andolan) करेंगे। इस साल 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा और अराजकता से बचने के लिये जहां केंद्र सरकार ने विरोध प्रदर्शन की इज़ाजत दी, वहीं दिल्ली पुलिस ने राजधानी में सुरक्षा कड़ी कर दी है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि, तयशुदा प्रोटोकॉल (Default Protocol) के मुताबिक विरोध प्रदर्शन हर दिन सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे के बीच हो सकता है, लेकिन किसी भी विरोध मार्च की अनुमति नहीं दी जायेगी। जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों की तादाद 206-200 के बीच रहेगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के 206-200 और किसान मजदूर संघर्ष समिति के छह लोगों से ज़्यादा नहीं हो पायेगें।
किसानों को सिंघू बॉर्डर से जंतर मंतर तक बसों में ले जाया जायेगा और उन्हें कोविड-19 के नियमों का पालन होगा साथ ही कहीं और इकट्ठा होने की अनुमति नहीं होगी। दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा और संयुक्त पुलिस आयुक्त जसपाल सिंह ने किसानों के विरोध से पहले सुरक्षा की समीक्षा करने के लिये जंतर मंतर का दौरा किया
गुरुवार (22 जुलाई 2021) से मानसून सत्र समाप्त होने तक 200 किसान रोजाना जंतर-मंतर के पास इकट्ठा होंगे। किसान नेताओं ने कहा कि, हम 22 जुलाई से संसद का मानसून सत्र समाप्त होने तक किसान संसद का आयोजन करेंगे और 200 प्रदर्शनकारी हर दिन जंतर मंतर पर जायेगें। हर दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर का चुनाव किया जाएगा। पहले दो दिनों में एपीएमसी एक्ट (APMC Act) पर चर्चा होगी। बाद में अन्य विधेयकों पर भी हर दो दिन में चर्चा की जायेगी।
दूसरी ओर सरकार तीनों कृषि कानूनों पर बातचीत के लिए तैयार है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक समाधान निकालने के लिये ग्यारह दौर की बातचीत हो चुकी है। किसान संगठन (farmers organization) कभी भी चर्चा के लिये सहमत नहीं हुए उन्होनें सिर्फ कानूनों को निरस्त करने की मांग की। गौरतलब है कि हजारों किसान नवंबर 2020 से दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इस मांग के साथ कि किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को वापस लिया जाये और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए एक नया कानून बनाया जाये।