Kisan Andolan: आंदोलन के सौंवे दिन के लिए खास रणनीति, सड़कों पर होगा चक्का ज़ाम

नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): कल किसान आंदोलन (Kisan Andolan) का सौंवा दिन होगा। जिसके लिए आंदोलनकारी किसान ने कुछ अलग रणनीतियों को अमली-ज़ामा पहनाने का फैसला किया है। इसे तहत ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर चक्का जाम किया जायेगा। आंदोलनकारी चाहते है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के कृषि बाजारों को निजी कंपनियों के लिए खोलने वाले तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करें। ये कानून किसानों का कमजोर बनाते है। किसान यूनियनों के नेताओं ने आज मीडिया से कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (Peripheral Expressway) पर पांच घंटे तक चक्का ज़ाम की कवायद को अंज़ाम दे।

इस मुद्दे पर गठबंधन किसान मोर्चा के प्रवक्ता दर्शन पाल ने कहा कि हमें विश्वास है इन 100 दिनों के बाद, हमारा आंदोलन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर नैतिक दबाव डालेगा, क्योंकि आगे मौसम और भी खराब होगा। ये सरकार को कमजोर करेगा, जिसे फिर से बात करने के लिए हमारे साथ बैठना होगा। सरकार का कहना है कि सुधार कृषि आधारित बाजारों में निवेश लाएंगे और बाज़ार में कृषि उपज की खरीद के लिए नये व्यवसायी लायेगें। जहां किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का आश्वासन मिलेगा।

आगे दर्शन पाल ने कहा कि, इस महीने से कटाई का मौसम शुरू हो गया है। हमारे कई पड़ोसी और गाँवों में रहने वाले दोस्त हमारे खेतों में कटाई का काम कर रहे है, जबकि दूसरी तरफ हम आंदोलन के मोर्चे पर जमे हुए है। राजधानी दिल्ली में आमतौर पर बहुत ज़्यादा गर्मी बढ़ने पर ज़्यादा से ज़्यादा तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक जाता है, लेकिन हमें इससे कोई फर्कं नहीं पड़ता। तीनों कानून हमारे लिए मौत के वारंट की तरह है। आंदोलन को लंबे समय तक बनाये रखने के लिए हम पूरी तरह तैयार और मुस्तैद है।

सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता नाकाम रही है और इस आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन (Mass support) मिला है। जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियां शामिल है। पीएम मोदी के द्वारा 2014 में सत्ता संभालने के बाद ये उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। आंदोलन के प्रमुख चेहरे राकेश टिकैत ने ये कहकर केन्द्र सरकार के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी है कि, वो इस आंदोलन को देश के हर कोन में ले जायेगें। जिसके लिए बड़े पैमानें पर किसान महापंचायतों को आयोजन किया जायेगा। इस कवायद के तहत उन राज्यों में भी किसान महापंचायत होगी, जहां आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने है।

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