नई दिल्ली (यामिनी गजपति): किसान आंदोलन में प्रदर्शन को मजबूती देने के लिए टूल किट (Toolkit case) बनाने के कथित आरोपों की अभियुक्त दिशा रवि ने हाल ही में अपनी चुप्पी तोड़ी है। हाल ही मे दिशा रवि को दिल्ली की एक अदालत ने ज़मानत पर रिहा किया है। उन पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है। शनिवार को दिशा ने कहा कि चाहे कितना भी वक़्त लगे, सच आखिरकर सामने आ ही जाता है। इस मामले हुए मीडिया ट्रायल पर दिशा ने बेबाक राय देते हुए कहा कि टीआरपी के लालची लोगों ने मेरी स्वायत्तता का उल्लंघन किया।
दिशा ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर अपना चार पन्नों का बयान पोस्ट किया। जिसमें उन्होनें लिखा कि ये मेरा खुद का नैरेटिव है। साथ ही उन्होनें तिहाड़ जेल में काटे अपने दिनों को भी याद किया। गौरतलब है कि टूलकिट मामले में 13 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। जिसके बाद दिशा को 10 दिनों तक सलाखों के पीछे तिहाड़ जेल में रखा गया। इस मामले ने स्वीडिश पर्यावरणविद् (Swedish environmentalist) के ट्विट के बाद काफी तूल पकड़ा। जिसमें टूलकिट का खुलासा हुआ था।
दिशा ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपने अनुभव को याद किया। जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें बेंगलुरु से गिरफ्तार कर जज के सामने पेश किया था। दिशा ने इंस्टाग्राम पर अपने बयान में लिखा कि, कोर्ट के कटघरे में मुझे पेश किया गया। जहां मेरी नज़रें वकील को तलाश रही थी। ये पता था कि मुझे अपने बचाव में दलील पेश करनी है, लेकिन मैं इस बात से अंज़ान थी कि कानूनी मदद कहां से और कैसे मिल सकती है। जब जज ने मुझे अपनी बात पेश करने के लिए कहा तो मैंने अपने मन की बात उनके सामने रखने का फैसला लिया। जिसके बाद मुझे 5 दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया। इस बात का अन्दाज़ा मुझे काफी अच्छे से था।
दिशा ने आगे लिखा कि, सब कुछ असली होते हुए भी नकली सा जान पड़ रहा था। दिल्ली का खराब मौसम, साइबर पुलिस, दीनदयाल अस्पताल, पटियाला हाउस कोर्ट और तिहाड़ जेल। उस दौरान किसी ने मुझसे पूछा कि आप खुद को अगले 5 सालों में कहां देखती हैं, तो मैंने जवाब में कभी भी जेल नहीं कहा लेकिन मैं जेल में ही थी। मीडिया ट्रायल का भी जिक्र करते हुए दिशा ने लिखा कि, मेरा जमकर मीडिया ट्रायल हुआ। मेरी तस्वीरों देशभर के सामने दोषी बताकर चलाया गया। मुझे टीआरपी की दौड़ में अंधे लोगों ने दोषी करार दिया। इस बात से मुझे कोई हैरानी नहीं हुई। मीडिया ने मुझे पर जमकर तंज भी कसे। कुल मिलाकर मेरी ऑटोनॉमी का खुले तौर पर उल्लंघन किया गया।
दिशा ने सलाखों के पीछे काटे वक्त को याद करते हुए लिखा कि, तिहाड़ में 5 दिन सलाखों के पीछे काटने के बाद मुझे 3 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। जेल में गुजरा एक-एक लम्हा मुझे अच्छे से याद है। मैं बहुत हैरान हूं कि जीने के लिए कमाई और रोजगार पर बात करना इस देश में अपराध बन गया है। देश के ज्यादातर लोग पर्यावरणीय परिवर्तन और जलवायु न्याय के बारे में बुनियादी समझ तक नहीं रखते। मेरे दादा दादी किसान हैं। इसलिए पर्यावरण में बदलाव, वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण जैसे मामलों पर मेरी सक्रियता बनी। जो कि काफी अहम मसला है। देश में सभी लोगों को जिंदा रहने के लिए एक बराबर संघर्ष नहीं करना पड़ता। मैं जलवायु न्याय इंटरसेक्शनैलिटी इक्विटी की पैरोकारी (Advocating Climate Justice Intersectionality Equity) करती हूँ, ताकि सभी लोगों को साफ हवा पानी और खाना उपलब्ध हो सके।
आगे दिशा ने लिखा कि, मेरी एक दोस्त कहती है किजलवायु न्याय सिर्फ अमीर और गोरे के लिए नहीं है। ये उन लोगों की लड़ाई के भी साथ खड़ा है जो विस्थापित (Displaced) हैं, जिनकी नदियां जहरीली हो गयी है। जिनकी ज़मीनों पर ज़बरन कब़्जा कर लिया गया है। जिन्होनें हर मौसम में अपने घरों को तबाह होते देखा है। जो जो लोग बुनियादी मानव अधिकारों की लगातार लड़ाई लड़ रहे है।