नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): आज संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार से वार्ता की पेशकश को ठुकरा दिया। जिसके बाद किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की दिशा और भी उग्र हो जायेगी। किसान प्रतिनिधियों ने प्रेस वार्ता कर कहा कि- अब इस मुद्दे पर और ज़्यादा बातचीत संभव नहीं है। हमारा रूख़ साफ है कि तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों में संशोधन नहीं चाहिए, बल्कि सरकार इसे पूरी तरह रद्द करें। इसी क्रम में हम केन्द्र सरकार की ओर से आयी वार्ता की पेशकश को पूरी तरह खाऱिज करते है। बातचीत की पेश आंदोलन को भरमाने के लिए की जा रही है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार को अल्टीमेटम देते हुए किसानों ने कहा कि- किसान आंदोलन को सरकार बेहद हल्के में आंक रही है। हम चेतावनी देते है कि, वे आग से ना खेलें। किसान खेतों में अन्न पैदा करता है। किसानों के बेटे सरहदों की निगेहबानी (Guarding) करते है। सरकार की जिद के आगे किसान और ज़वान दोनों का ही मनोबल टूट रहा है। आज किसान और उनका पूरा परिवार विरोध में सड़कों पर है। हमारी गुज़ारिश है कि सरकार किसानों की मांग को बाइज़्जत मान ले। आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकार खोखला दावा कर रही है कि, किसानों की सारी बातें मान ली गयी है।
केन्द्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए किसानों ने कहा कि- केन्द्र सरकार से वार्ता के लिए हमने लचीला रवैया अख़्तियार किया है। हम हर हाल में बातचीत के लिए तैयार है, अगर सरकार वास्तविक मुद्दों (Real issues) पर बात करें तो। किसान हमेशा से ही वार्ता के पक्षधर रहे है, लेकिन केन्द्र सरकार स्वस्थ बातचीत करने की रवैये से काफी दूर है, क्योंकि उनके मन में खोट है। केन्द्र सरकार को किसानों से बातचीत के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल (Amicable atmosphere) तैयार करना चाहिए। बजाय इसके आंदोलन के बारे में जमकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। गृहमंत्री अमित शाह से वार्ता के दौरान हम अपना पक्ष पूरी तरह साफ कर चुके है कि, किसान संशोधन की बात को कभी नहीं कबूलेगें। सरकार गतिरोध बढ़ाकर हमें थकाना चाहती है ताकि आंदोलन की धार को कमजोर खत्म किया जा सके।
विपक्ष भी इसे मौके को जमकर भुनाने की तैयारी कर चुका है। डेरेक ओ ब्रायन की अगुवाई में टीएमसी नेताओं को एक दल आज सिंघू बॉर्डर और आंदोलनकारी किसानों से बातचीत कर ज़मीनी हालातों पर चर्चा की। आंदोलन लंबा खिंचने के कारण ट्रैफिक पर पड़ने वाला असर अब साफ दिखाई दे रहा है। कुंडली बॉर्डर पर जीटी रोड प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रीतमपुरा के पास से ही सर्विस रोड पर चक्का जाम कर दिया। जिसकी वज़ह से दोपहिया वाहन इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं कर पाये।
दिल्ली से लगे कई अहम रास्तों पर अभी किसान डटे हुए है। जिसकी वज़ह से दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे और केजीपी (कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) एक्सप्रेस-वे पर किसानों ने यातायात रोका। यूपी बॉर्डर पर प्रदर्शन के कारण दिल्ली-गाजियाबाद आवागमन बुरी तरह प्रभावित रहा। कई लोग सवारी और गाड़ी छोड़कर पैदल चलने के लिए मजबूर दिखे। गाजीपुर और आनंद विहार पर ट्रैफिक प्रभावित होने के कारण पुलिस को डायवर्जन लगाकर वैकल्पिक रास्ता तैयार करना पड़ा। गाजीपुर मुर्गा मंडी रोड और डाबर के पास वाहनों के लंबी कतारें धीमी-धीमी रेंगती दिखाई दी। इस दौरान पुलिस और प्रशासन के कई आला अधिकारी प्रदर्शनकारियों से यातायात में बाधा उत्पन्न ना करने की गुज़ारिश करते दिखे।