न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): ट्रैक्टर परेड और किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के नाम पर अलगाववादी ताकतें सिर उठी रही हैं। खुफिया सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक एक बार फिर से देश में अलगाववादी संगठन खालिस्तान को लेकर उग्र हो सकते है। इसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई शह पर तूल दिया जा रहा है। इसी साज़िश के तहत इसके तहत खालिस्तानी समर्थकों ने वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास (Indian Embassy in Washington DC) के सामने कृषि कानूनों के विरोध खालिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी करते हुए झंडे फहराये।
आशंका जताई जा रही है कि, इस मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर वैश्विक मंचों पर खालिस्तान की मांग को एक बार फिर से हवा दी जा सके। जिसके लिए खालिस्तानी समर्थक अमेरिका, कनाडा, और यूरोप के कई बड़े देशों में लामबंद हो रहे है। फंडिंग करने के साथ ही ये प्रोपेगेंडा मशीनरी (Propaganda Machinery) का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि भारत सरकार पर इसका चौतरफा दबाव बनाया जा सके। किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तान के प्रति रूझान पैदा करना इसका अहम हिस्सा है। इससे जुड़े हैंडलर्स को इस्लामाबाद की शह हासिल है।
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने कई कथित टि्वटर अकाउंट को ब्लॉक किया। जो कि किसान आंदोलन की आड़ में भड़काऊ ट्वीटस कर रहे थे। इनमें से कई वेरिफाईड टि्वटर अकाउंट हैंडल (Verified twitter account handle) थे जिन्हें पाकिस्तान से संचालित किया जा रहा था। साथ ही कुछ कनाडा और अमेरिका से भी जुड़े हुए थे। अमेरिका में भारतीय दूतावास के सामने और लाल किले पर फहराए जाने वाले झंडों में समानता देखी गई। जिनमें निशान साहिब के साथ खालिस्तान लिखा हुआ था। अमेरिका की सरज़मी पर सिख नेताओं ने खालिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी भी की।
गौरतलब है कि खालिस्तान की मांग और तीनों कृषि कानूनों की वापसी दो बेहद अलग-अलग मुद्दे हैं। ऐसे में जब इन्हें एक ही आंदोलन में एक साथ पेश किया जा रहा है तो आशंकाओं की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। जिससे ये साबित होता दिखता है कि खालिस्तानी मासूम किसानों को हथियार बनाते हुए अपने आंदोलन को फिर से एक बार हवा देना चाहते हैं। जिसके लिए वो विदेशी जमीन, वैश्विक मंच, काला धन और दुष्प्रचार की मदद लेने से भी नहीं हिचक रहे है। इन सबके बीच अलगाववादी निशान साहिब के साथ खालिस्तान लिखकर पवित्रता और शुद्धता भंग करने का काम कर रहे है।