किशोर कुमार (Kishor Kumar) को आज भी लोग उनके गानों के लिये याद करते है। उनके साथ काम करने वाले लोगों के मुताबिक उनकी आंखों में किसी बच्चे के माफ़िक हमेशा शरारत तैरती रहती थी। मौका मिलने पर वो शरारत करने से बाज़ नहीं आते थे। कई मौके पर उन्होनें अपनी गायकी को इन्हीं शरारतों से सजाया और संवारा। पर्दे पर उन्होनें अदाकारी में भी अपना हुनर दिखाया। फिल्म पड़ोसन में मुंह में पान ठूंसकर मरहूम सुनील दत्त साहब (Sunil Dutt) को ‘अरे बांगडू’ बोलने वाला उनका अंदाज़ सभी आज भी याद करते है। ऐसे में हम आपके लिये लेकर आये उन्हीं से जुड़े कुछ अनसुने किस्से
- कहा जाता है कि ‘आनंद’ फिल्म सबसे पहले किशोर कुमार और महमूद अली को ऑफर की गयी थी। जब ‘आनंद’ फिल्म के डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी (Director Hrishikesh Mukherjee) किशोर कुमार के घर गये थे तो उनके गेटकीपर ने उन्हें भगा दिया था, जिसके बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया।
- किशोर कुमार ने हिंदी सिनेमागजत में कई सारे फेमस गाने गाये हैं। गायिकी के अलावा किशोर कुमार ने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया। किशोर कुमार का पहला गाना ‘मरने की दुआयें क्यों मांगू’ था, जो कि उन्होंने फिल्म ‘जिद्दी’ के लिये गाया था।
- किशोर कुमार की बतौर एक्टर पहली फिल्म ‘शिकारी’ थी, जो कि साल 1946 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में किशोर कुमार के भाई मुख्य किरदार में थे।
- किशोर कुमार की पहली नौकरी बॉलीवुड (Bollywood) में बतौर कोरस सिंगर थी। इस फिल्म का नाम ‘बॉम्बे टॉकीज’ था। इस फिल्म में किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार (Ashok Kumar) ने भी काम किया था।
- किशोर कुमार की हिंदी सिनेमाजगत में क्या जगह थी, इसका अंदाज़ा आप उनके गाये हुए आखिरी गाने की नीलामी की कीमत से लगा सकते हैं। साल 2012 में किशोर कुमार का गाया हुआ आखिरी गाना 15.6 लाख में बिका था। गाने की नीलामी दिल्ली में आयोजित ओशियन सिनेफन के जरिये की गयी थी।
- कॉलेज से जुड़े लोग आज भी बताते है कि किशोर दा को काका की कैंटीन के पोहा और जलेबी खूब पसंद थे। मुफ्फलिसी के दौर में वो यहां से चाय, पोहा, जलेबी उधार खाया करते थे। इसी उधारी के चक्कर में किशोर दा पर कैंटीन के काका का 5 रूपया 12 आना का उधार हो गया। जब भी वो अपने पैसे मांगते तो किशोर अपने ही अंदाज में गाने लगते ‘पांच रूपैया बारह आना…मारेगा काका..ना…ना..ना..’ यहीं गाना आगे चलकर फिल्म में लिया गया। जिसमें किशोर दा गाते हैं मारेगा भईया ना..ना…ना.. किशोर दा ने ये उधार कभी नहीं चुकाया। फिल्म इंडस्ट्री में पैसा कमाने के बाद भी काका की कैंटीन का उन पर उधार ही रहा।
- एक और दिलचस्प वाकया ‘मेरे सामने वाली खिड़की’ गाने से भा जुड़ा है। लोग बताते हैं कि कॉलेज के दिनों में किशोर कुमार हॉस्टल की खिड़की पर बैठकर गर्ल्स हॉस्टल की तरफ देखते हुए इसे गुनगुनाते थे। ये गाना भी बाद में कॉमेडी फिल्म ‘पड़ोसन’ में लिया गया। ‘मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है’ ये गाना भी उनके सुपरहिट गानों में से एक है।
- गायक की आवाज में भी गा लेते थे किशोर कुमार। किशोर कुमार को भगवान ने मल्टीटैलेंटिड बनाया था। वो एक अच्छे सिंगर तो थे ही साथ ही अभिनय में भी पीछे नहीं थे। इसके अलावा सबसे दिलचस्प बात थी कि वो महिला गायक की आवाज में भी गा सकते थे। साल 1962 की फिल्म ‘हाफ टिकट’ का गीत ‘आके सीधी लगी दिल पे जैसी’ को किशोर कुमार ने मेल और फीमेल दोनों ही आवाजों में गाना गाया और इसमें सबसे खास बात ये थी कि उन्होंने इस गाने को एक बार में ही रिकॉर्ड कर लिया गया और ये गाना सुपरहिट साबित हुआ था। बता दें कि इस गाने को स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) गाने वाली थीं लेकिन किसी वजह से वो इसमें अपनी आवाज नहीं दे पाई तब किशोर कुमार ने ये गाना गाया।
- किशोर कुमार की कल्पना की उड़ान भी बेहद अलग थी। अपने घर को लेकर उनका एक अलग सपना था, जिसे पूरा करने के लिये उन्होंने अपने घर पर एक आर्किटेक्चर को बुलाया और कहा की मेरे लिये ऐसा घर बनाओ जिसके हर कमरे में पानी ही पानी हो। वे ये भी चाहते थे कि उनके पलंग के पास एक नाव हो जिस पर बैठकर वे डाइनिंग हॉल तक जा सके। हालांकि उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया।
- बताया जाता है कि किशोर कुमार ने अपने घर के बाहर एक साइन बोर्ड लगाया हुआ था, जिस पर लिखा था “बिवेयर ऑफ किशोर”। इससे जुड़ा एक किस्सा भी मशहूर है कि जब निर्माता-निर्देशक एचएस रवैल (Producer-Director HS Rawail) उनके घर में उनसे मिलकर बाहर निकल रहे थे, तभी किशोर ने उनका हाथ काट लिया, जब रवैल ने पूछा तो किशोर ने जवाब दिया कि मेरे घर में घुसने से पहले आपको बोर्ड देखना चाहिये था।