पितृदोष (Pitra Dosh) क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है ? क्यों पितृ दोष के उपाय करने के बाध भी परेशानियां कम नहीं होती ? पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है ? आज हम जन्म कुंडली में पितृदोष होने के बाद हमारे घर में वास्तु दोष कहां उत्पन्न होता है, और कैसे इस वास्तु दोष को हटाकर हम पितृदोष के प्रभावों को 90% तक कम कर सकते हैं ? इसके बारे में जानेगें।
ऐसे बनता है Pitra Dosh
सूर्य हमारे पितृ है, और जब राहु की छाया सूर्य पर पड़ता है (तब सूर्य यानि की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव काम हो जाता है) यानि की जब राहू सूर्य के साथ बैठा हो या राहु पंचम भाव में हो या सूर्य राहु के नक्षत्र में हो या पंचम भाव का उप नक्षत्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तब ऐसी परिस्थिति में पितृदोष उत्पन होता है।
ऐसा माना जाता है कि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है और उनका सही तरीके से श्राद्ध ना किया गया हो तब उस परिवार में जन्म लेने वाले संतान में पितृ दोष आ जाता है (खासकर पुत्र संतान मैं) जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन में काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
जिस व्यक्ति के जन्म कुंडली में है पूर्ण पितृदोष होता है उन्हें पुत्र संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो कि मेडिकली स्वस्थ होते हैं लेकिन फिर भी संतान की प्राप्ति नहीं होती और डॉक्टर बताते हैं कि मेडिकली उन्हें कोई परेशानी नहीं है फिर भी उन्हें संतान का सुख नहीं मिल पाता या कई लोगों के सिर्फ पुत्री ही होती हैं पुत्र धन की प्राप्ति नहीं हो पाती।
ऐसी परिस्थिति में उनकी कुंडली में पितृदोष जरूर होता है और उनके घर में ईशान कोण या नैत्रत्य कोण में शौचालय जरूर होता है। कई बार पितृ दोष का प्रभाव इतना बढ़ जाता है व्यक्ति की सारी जमीन जायदाद और संपत्ति तक बिक जाती है और वो नई संपत्ति खरीद भी नहीं पाता। आपने ऐसे कई लोगों के बारे में देखा या सुना होगा जो बहुत बड़े जमींदार होते थे उनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता था लेकिन आज उनके पास कुछ भी नहीं है। यहाँ तक कि अपना घर तक नहीं है इसका मुख्य कारण पितृदोष होता है।
Pitra Dosh और वास्तु का संबंध
घर में पितृ का स्थान दक्षिण और पश्चिम का कोना है यानि कि नैत्रत्य कोण। जन्म कुंडली में जब भी पूर्ण पितृदोष बनता है यानि की राहु (जो की नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत्र है) मजबूत हो जाता है, और जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में नकारात्मक ऊर्जा मजबूत होती है। इसका प्रभाव घर में भी प्रभाव देखने को मिलता है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ईशान कौन से होता है और नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) का प्रवाह नैत्रत्य कोण से होता है, जब जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है यानि कि राहु मजबूत होता है ऐसी परिस्थिति में वो व्यक्ति जिस घर में रहता है। उस घर के नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होता है।
नैत्रत्य कोण के जुड़े वास्तु दोष
नैत्रत्य कोण में शौचालय का होना, डस्टबिन का होना, नाली का होना, दक्षिण पश्चिम में गंदगी होना (जो कि राहु की नकारात्मक ऊर्जा को 100 गुना बढ़ा देता है), दक्षिण पश्चिम में पृथ्वी की ऊर्जा होती है अगर यहां पर पेड़-पौधे रखे हों या दीवार का रंग हरा हो तो भी पृथ्वी की ऊर्जा समाप्त हो जाती है। जिससे भी यहाँ पर वास्तुदोष पैदा होते हैं।
वैवाहिक जीवन पर असर
घर में नैत्रत्य कोण रिश्ते का स्थान भी है, और अगर यहां पर वास्तु दोष होता है तो वैवाहिक जीवन (Married Life) में बहुत सारी परेशानियां आती हैं यहां तक कि कई बार बात तलाक तक पहुंच जाती है और जिसकी कोई खास वजह नहीं होती। अगर किसी व्यक्ति के घर में आपसी रिश्ते खराब हो और बिना किसी कारण के बार-बार झगड़े होते हैं तो नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होगा। उचित उपाय से अवश्य समस्या का समाधान होता है।