International Women’s Day: देश की बेटियां – हमारा गौरव, जो हैं दुश्मनों पर भारी

न्यूज़ डेस्क (ज्योति): आज अन्तराष्ट्रीय विमेंस डें (International Women’s Day) के इस खास मौके पर हम आपको देश की उन बेटियों से रुबरु कराने जा रहे हैं जिन्होंने युध्द के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और रक्षा सेवा की ताकत को भी दोगुना किया। इन्होने न केवल अपने माता पिता बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है। चलिए जानते है देश की उन मर्दानियों के बारे में जो देश के लिए मर-मिटने को भी तैयार है।

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पुनिता अरोड़ा (Punita Arora)
पुनिता अरोरा भारत देश की पहली महिला Lieutenant जनरल, इंडियन आर्मी हैं। इन्होने ने Armed Forces Medical College से पढाई के बाद 1968 में इंडियन आर्मी ज्वाइन की। अपनी अखंडता, निष्ठा और कड़ी मेहनत की वजह से इंडियन नेवी में वाईस एडमिरल के पद पर भी नियुक्त हुई। अपने 36 के करियर में इन्हे 15 पुरुस्कार से नवाज़ा गय। पुनिता जी ने गर्व के साथ अपने राष्ट्र की सेवा करने के लिए महिलाओं की एक पीढ़ी को उत्तेजित किया है।

पद्मावती बंधोपाध्याय (Padmavat Bandhopadhyay)
पद्मावती बंधोपाध्याय को भारतीय वायुसेना की पहली महिला एयर मार्शल के नाम से जाना जाता है। वे चिकित्सा सेवा की महानिदेशक भी रहीं। पद्मावती ने 1968 में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) से जुड़ी। इसी के साथ 34 साल बाद अपनी सेवा भाव और देशप्रेम के चलते उन्हें 2002 में एयर वाइस मार्शल का पद मिला।

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दिव्या अजित कुमार (Divya Ajeet Kumar)

दिव्या अजित कुमार सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली देश की पहली भारतीय महिला कैडेट बनी। दिव्या को 2010 में Corps of Army Air Defence में नियुक्त किया गया। कप्तान दिव्या अजित कुमार ने गणतंत्र दिवस (2015) पर सेना की पहली सभी महिला टुकड़ियों का नेतृत्व किया। उन्होंने परेड के दौरान 154 महिला अधिकारियों और कैडेटों की एक टुकड़ी का नेतृत्व किया, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति (उस समय के) बराक ओबामा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।

अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह, भावना कंठ (Avani Chaturvedi, Mohna Singh, Bhavna Kanth)
जून 2016, यह वो दिन था जब तीन मर्दानियों को देश के नभ को सुरक्षि‍त रखने का जिम्मा सौंप गया था। आपको बता दें कि बिहार के बेगूसराय की भावना कंठ, मध्यप्रदेश के रीवा की अवनी चतुर्वेदी और वडोदरा की मोहना सिंह पहली बार वायुसेना में बतौर फाइटर प्लेन पायलट कमीशन बनी। इनका कौशल और उपलब्धि भारत की नारी शक्ति के लिए एक वसीयतनामा है।

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शांति तिग्गा (Shanti Tigga)
शांति तिग्गा ने 13 लाख रक्षा बलों में पहली महिला जवान बनने का गौरव हासिल किया है। इसी के साथ भर्ती प्रशिक्षण शिविर (Recruitment training camp) के दौरान तिग्गा ने बंदूक को हैंडल करने के अपने कौशल से प्रशिक्षकों को काफी प्रभावित किया और निशानेबाजों में सर्वोच्च स्थान भी प्राप्त किया । उनके शारीरिक परीक्षण, ड्रिल और गोलीबारी समेत आरटीसी में समूचे प्रदर्शन के बाद उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु माना गया और उन्हें पहली महिला जवान बनने का मौका भी मिला था।

गुंजन सक्सेना (Gunjan Saxena)
गुंजन सक्सेना को आज कौन नही जानता, उनके किये गए कार्य के कारण गुंजन को ‘कारगिल गर्ल’ के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि गुंजन पहली महिला पायलट थीं जिसने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान से लोहा लिया था। गुंजन को उनके साहस के लिए शौर्य वीर पुरुस्कार से भी नवाज़ा गया था।

टूटे नहीं जिन बेटियों के हौसले बंदिशों के डर से
देखो बाहें खोले गले मिलती हैं आज आसमानों से।
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