दिल्ली सहित देश के अधिकांश कोविड सेंटर (Covid Center) के हाल यही है !
एक महिला ने कहा, ‘कल मैं अपने पापा को बिस्किट और पानी देकर गई। आज मैं आई तो यही नहीं पता कि मेरे पापा कहां हैं। न मिलने दे रहे, न बोलने दे रहे। गार्ड बोलते हैं, सीएमओ से लिखवाकर लाओ। सीएमओ कहते हैं , मैं यहां का इन्चार्ज नहीं हूं।’
वहीं खड़ी एक अन्य महिला ने कहा, ‘यहां की लेडीज गार्ड ने मुझे मारा है। मैं अपने मरीज को लेने गई थी तो मुझे मारा। मेरा सिर फोड़ दिया। मुझे मेरा मरीज वापस चाहिए। हम उसे घर में मार देंगे।’
महिला के साथ मौजूद एक शख्स ने कहा, आधा घंटा पहले मरीज ठीक से खाना खाता है और आधा घंटा बाद डॉक्टर का फोन आता है कि आपका मरीज सीरियस (Patient serious) है। 5 मिनट बाद कहा जाता है कि आपका मरीज मर गया। उसने दावा किया कि सुबह से 25-30 मरीज ऐसे ही मर चुके हैं।
वहीं मौजूद एक युवक ने कहा, मेरी पत्नी को कल कहा गया कि वह एक्सपायर हो गई हैं। मैं गया तो पता लगा कोई और एक्सपायर हुआ है। मैं सुबह से इधर से उधर भटक रहा हूं। मुझे पता ही नहीं चल रहा कि वह हैं कहां। इसी तरह की शिकायतें वहां मौजूद हर शख्स कर रहा था और यही कह रहा था कि मरीज वापस दिलवा दो। कई महिलाओं ने गार्ड पर भी बदसलूकी और मारपीट करने का आरोप लगाया।
बता दें कि राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में जबरदस्त भीड़ है और बेड कम पड़ रहे हैं। वहीं मंगलवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं करती तो सुबह तक हाहाकार मच जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिकतर अस्पतालों के पास 8-10 घंटे की ही ऑक्सीजन बची है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देशभर में हाहाकार मचा दिया है। कहीं लोग बेड के लिए भटक रहे हैं तो कहीं अपनों के अंतिम संस्कार के लिए। इस लहर में आम आदमी के साथ खास लोग भी त्रस्त हैं। राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां मंगलवार को 28 हजार से ज्यादा नए मामले रिकॉर्ड किए गए और 277 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत है। वहीं मरीजों के परिजन भी कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
देश भर के कोविड अस्पतालों के बाहर की स्थिति देखते नहीं बनती। ऐसा लगता है हर कोई इस मौत के तांडव का शिकार है। वहीं प्रशासन और अस्पतालों के रवैये (Attitudes of administration and hospitals) को लेकर भी लोगों में बड़ा असंतोष है। मीडिया जब दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के बाहर पहुंचे तो लोगों ने अपनी शिकायतें बतानी शुरू कर दीं।
एक परिचित का वाट्सप संदेश मिला !
मै दूसरों की मदद के लिए अस्पताल आना जाना कर रहा हूँ। तो देखा कि भयानक स्थिति है।
आपका आदमी अस्पताल में लेके उनका हो जाता है और 3 4 केसेस में सिर्फ शव दिया गया। जबकि 3 4 दिन तक ना कोई जांच हुई, न कोई दवाई। और रोज़ कहते रहे कि बढ़िया है आराम है ओर सीधा मृत्यु हो गयी बता दिया जाता है।
इसलिए पहले से किया गया उपाय ही अब हमें बचा सकता है और घर मे रहना बहुत ज़रूरी है।…. साल भर से कोरोना है इस दौरान भी देश मे कहीं कोई अस्पताल नहीं बनाया, नतीजा आज सबसे बड़ी किल्लत दवाएं औऱ आक्सीजन जुटाने की हो रही है, लाखों रुपये जमा कर भी इलाज मिलने की कहीं कोई गारंटी नहीं।