न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज (6 अप्रैल) को न्यायमूर्ति एनवी रामन्ना (NV Ramana) को 24 अप्रैल, 2021 से भारत के अगले और 48 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया। न्यायमूर्ति रमना 26 अगस्त, 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। गौरतलब है कि बीते मार्च महीने में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने न्यायमूर्ति एनवी रामन्ना को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनाने की सिफारिश की थी। सीजेआई बोबडे 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। न्यायमूर्ति एनवी रामन्ना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नवरम गाँव में हुआ था। 10 फरवरी 1983 को उन्हें बतौर वकील एनरोलमेंट मिला।
27 जून 2000 को न्यायमूर्ति रामन्ना को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक उन्होनें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (Acting chief justice) के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। न्यायमूर्ति रामन्ना को 2 सितंबर 2013 में दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। बाद में वो 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने। जस्टिस एनवी रामन्ना काफी अनुभवी है। कई ऐतिहासिक मामलों और फैसलों का वो हिस्सा रहे है।
जस्टिस रामन्ना उस न्यायिक खंडपीठ (Judicial bench) का हिस्सा रहे है, जिसने अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद 2020 में जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की पहुंच को बहाल करने के लिए फैसला सुनाया। उन्हीं की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि महिलाओं द्वारा घर में किये गये काम किसी भी कीमत में उसके पति द्वारा ऑफिस में किये जाने वाले काम से कम नहीं है।
न्यायमूर्ति रामन्ना न्यायाधीशों के उस पैनल का भी हिस्सा थे, जिन्होंने ये माना कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में आता है। जस्टिस रामन्ना एक साल और चार महीने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होंगे। वो 26 अगस्त, 2022 तक पद पर बने रहेंगे।
इसके साथ ही आंध्र प्रदेश से वो भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले आंध्र प्रदेश से आने वाले न्यायमूर्ति के. सुब्बा राव ने 1966-67 तक भारत के नौवें मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला था। वो सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम, सेवा और चुनाव मामलों में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकील भी रहे हैं।