न्यूज डेस्क (यार्चिता गोस्वामी): हवाना सिंड्रोम (Havana syndrome) ने पिछले कुछ दिनों में काफी सुर्खियां बटोरीं, जब ये काफी रहस्यमय तरीके से फैली। लोगों के बीच जानकारी की कमी के कारण इसने काफी आंतक मचाया। हाल ही में इस महीने की शुरुआत में हवाना सिंड्रोम की खबरें फिर से सामने आयी जब सीआईए के एक अधिकारी ने कहा कि वो अपनी भारत यात्रा के दौरान इस बीमारी के लक्षणों का अनुभव कर रहे थे।
हवाना सिंड्रोम के लक्षणों की सूचना देने वाले सीआईए अधिकारी को भारत में रहने के दौरान तत्काल चिकित्सा सहायता मुहैया करवायी गयी। अधिकारी अपनी भारत यात्रा के दौरान सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स (CIA Director William Burns) की सहायता करने वाले प्रतिनिधियों की टीम का हिस्सा थे। इस खबर से देश में काफी लोग दहशत में हैं।
हवाना सिंड्रोम वास्तव में क्या है, इसका सवाल का अभी भी बहुत साफ ज़वाब मौजूद नहीं है। इस सिंड्रोम के मामले पहली बार साल 2016 में सामने आये थे, जब कई अमेरिकी राजनयिकों (US diplomats) ने क्यूबा का दौरा किया और बाद में कहा कि वे असामान्य परेशानी और उल्टी का अनुभव कर रहे थे।
Havana syndrome के लक्षण
हवाना सिंड्रोम के मुख्य लक्षणों में मतली, गंभीर सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, नींद की समस्या और सुनने की क्षमता में कमी आना खासतौर से शामिल हैं। रिपोर्टों के मुताबिक सिंड्रोम से प्रभावित अमेरिकी कर्मियों में से एक को अभी भी सुनने के लिये हियरिंग एड (hearing aid) की जरूरत पड़ती है। हवाना सिंड्रोम के लक्षणों में ये भी शामिल है कि इससे ग्रस्त शख़्स के आधे दिमाग पर भारी नुकसान पड़ सकता है। लगभग 200 अमेरिकी कर्मियों और उनके परिवारों ने कथित तौर पर महीनों तक इस सिंड्रोम के लक्षणों को महसूस किया।
हवाना सिंड्रोम के कारण के संबंध में आज तक कई सिद्धांत सामने आये। इस सिंड्रोम के लिये सबसे लोकप्रिय कारण माइक्रोवेव को माना गया। अध्ययनों में सामने आया कि अमेरिकी कर्मियों पर सोनिक अटैक (ध्वनि हमला) किया गया, जिसके कारण वो ये लक्षण महसूस कर रहे है।
इस सिंड्रोम के लिए सुझाये गये अन्य कारणों अल्ट्रासाउंड, अल्ट्रासोनिक सिग्नल, कीटनाशक, और यहां तक कि कीट पंतगों को भी जिम्मेदार माना गया। कुछ शोधकर्ताओं ने हवाना सिंड्रोम को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा है कि ये एक मनोवैज्ञानिक परिघटना (Psychological Phenomenon) है, जो तब होता है जब आप तनावपूर्ण हालातों में होते हैं।
आज तक इस सिंड्रोम के लक्षणों को महसूस करने वालों को लिये किसी तरह का कोई खास मेडिकल ट्रीटमेंट सामने नहीं आया है। अभी तक इस सिंड्रोम का सटीक कारण सामने नहीं आ पाया है, इसलिये किसी तरह को कोई सर्टिफाइड मेडिकल प्रोसीजर (Certified Medical Procedure) इसके उपचार के लिये लागू नहीं हो सका है। आमतौर पर इस बीमारी के शिकार व्यक्ति को मतली और चक्कर आने के बुनियादी उपचार के साथ चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है।