नई दिल्ली (यथार्थ गोस्वामी): पूर्वांचल और बिहार में छठ पूजा (Chhath Puja) की लोक आस्था और उत्साह विश्वस्तरीय पहचान रखता है। ये हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को तिथि (Karthik Shukla Paksha Shashthi) को मनाया जाता है। झारखंड और नेपाल के तराई इलाकों में भी इस पर्व को काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस आराधना को उषा-प्रत्यूषा, सूर्योपासना, जल, वायु औऱ प्रकृति की संयुक्त वंदना (Joint worship) से जोड़कर देखा जाता है। प्रकृति को समर्पित होने के नाते इस त्यौहार में किसी तरह की प्रतिमा या छवि पूजन नहीं जुड़ा है। अनुशासन और कठोर अनुष्ठान इस पर्व के साथ चार दिनों तक चलते है। छठी मैय्या की कृपा से यशस्वी पुत्रों की प्राप्ति के प्रबल योग बनते है। साथ ही ऐश्वर्य और धन-धान्य में परिपूर्णता भी प्राप्त होती है।
इस पूरे त्यौहार को मुख्य तौर से चार दिनों में होने वाले, चार विशेष अनुष्ठानों में बांटा जाता है। नहाय-खाय, खरना/लोहंड, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य। इस पर्व को सूर्योपासना से जोड़कर देखा जाता है। जिसका विवरण विष्णु पुराण, भगवत पुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana) में काफी विस्तार से मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को भगवान बह्मा की मानस पुत्री बताया गया है। सृष्टि की सर्वांगमयी ऊर्जा के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण छठी मैया षष्ठी मैय्या कहलाई।
नहाय-खाय
18 नवंबर 2020 दिन बुधवार
सूर्योदय प्रात: 06:46
सूर्योस्त सांय 17:26
लोहंडा और खरना
19 नवंबर 2020 दिन गुरूवार
सूर्योदय प्रात: 06:47
सूर्योस्त सांय 17:26
षष्ठी तिथि का आरम्भ – रात्रि 21:59
छठ पूजा (सन्ध्या अर्घ्य)
20 नवंबर 2020 दिन शुक्रवार (मुख्य पूजा का दिन)
सूर्योदय प्रात: 06:48
सूर्योस्त सांय 17:26
षष्ठी तिथि की समाप्ति – रात्रि 21:59
सूर्योदय अर्घ्य (व्रत पारण का दिन)
21 नवंबर 2020 दिन शनिवार
सूर्योदय अर्घ्य और पारण मुहूर्त का प्रारम्भ- प्रात: 06:49