न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): RBI: हाल ही में ऐलान किया कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार देश में निजी क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने वाले एक विधेयक को पेश करने जा रही है। जहां सरकार कुछ डिजिटल क्वॉइन (Digital Coin) पर बैन लगाने की योजना बना रही है, वहीं साथ ही एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी पेश करने की भी प्लानिंग बना रही है।
आधिकारिक डिजिटल मुद्रा क्रिप्टोकरेंसी विनियमन विधेयक 2021 का देश में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को रेगुलेट करने का लक्ष्य रखेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी करने की उम्मीद है। जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा रेगुलेट किया जायेगा। आरबीआई से डिजिटल मुद्रा (Digital Currency) जारी करने के लिये क्रिप्टोकरेंसी की ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology) का इस्तेमाल करने की उम्मीद जतायी गयी है।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या CBDC क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले में काफी ज़्यादा स्टेबल होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबित सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी लीगल टेंडर है। ये एक तरह से फिएट करेंसी की तरह होगा। जिसका पूरा तरह से एक्सचेंज किया जा सकेगा।
CBDC डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, लेकिन ये बीते एक दशकों में उभरी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी (Private Virtual Currency) से इसकी तुलना नहीं की जा सकती। सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच मुख्य अंतर ये है कि सीबीडीसी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त रेगुलेटर इसे विनियमित करता है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी को विकेंद्रीकृत (Decentralized) किया जाता है।
प्राइवेट वर्चुअल करेंसी कमोडिटीज या कमोडिटीज पर दावे नहीं हैं क्योंकि उनका कोई आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) नहीं है और वे पैसों से काफी अलग हैं। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी कुछ ऐसा होगा जिसे बैंकिंग सिस्टम (Banking System) का समर्थन हासिल होगा। सीबीडीसी पूरी तरह से देश के अधिकृत मौजूदा वित्तीय ढांचे (Financial Structure) के अनुकूल होगा।