न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बीते गुरुवार (10 फरवरी 2022) को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Case) मामले में जमानत दे दी। इस घटना में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गयी थी। उच्च न्यायालय ने आशीष मिश्रा को जमानत देते हुए उन पर लगे आरोपों पर सवाल उठाते हुए पुलिस जांच को खारिज कर दिया।
कोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench) ने 18 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई पूरी करने के बाद मिश्रा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मिश्रा की ओर से पेश वकील ने अदालत से कहा था कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और उनके खिलाफ इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने किसानों को कुचलने के लिये कार चालक को उकसाया था। याचिका का विरोध करते हुए, अतिरिक्त महाधिवक्ता वीके शाही (Additional Advocate General VK Shahi) ने कहा था कि मिश्रा उस कार में थे जिसने घटना के समय कथित तौर पर किसानों को उसके पहियों के नीचे कुचल दिया था।
इन दलीलों की बुनियाद पर आशीष मिश्रा को मिली जमानत
- 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों की हत्या में आशीष मिश्रा की कथित भूमिका चुनावी मौसम के दौरान बड़े विवाद में बदल गयी। इस मामले ने इसलिये भी तूल पकड़ा क्योंकि उनके पिता केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री हैं।
- आशीष मिश्रा पर महिंद्रा थार एसयूवी (Mahindra Thar SUV) चलाने का आरोप है, जिसने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध मार्च के दौरान लखीमपुर खीरी में चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल दिया। इस घटना के कुछ दिनों बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
- घटना के वीडियो में एक एसयूवी कार बिना स्पीड कम किये किसानों को कुचलती नज़र आ रही है। लखीमपुर खीरी में हुए इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गयी। किसानों को कुचले जाने के बाद हिंसा भड़क गई, जिसमें भाजपा (BJP) के दो कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की मौत हो गयी।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार को प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग समेत आशीष मिश्रा के खिलाफ पुलिस द्वारा सूचीबद्ध कुछ आरोपों पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा, “मामले के तथ्यों और हालातों को पूरी तरह से देखते हुए ये साफ है कि एफआईआर (FIR) के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों की हत्या के लिये आशीष मिश्रा को फायरिंग की भूमिका सौंपी गई थी, लेकिन जांच के दौरान ये पता चला था कि हथियारों से किसी को चोट नहीं लगी, और न ही किसी मृतक या घायल व्यक्ति के शरीर पर उसके निशान पाये गये।”
- कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा पर एसयूवी चालक को किसानों को कुचलने के लिए उकसाने का आरोप है। “अभियोजन पक्ष (Prosecutors) ने आरोप लगाया कि आशीष ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिये कार चालक को उकसाया, हालांकि वाहन में सवार दो अन्य लोगों के साथ चालक को प्रदर्शनकारियों ने मार डाला।
- कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा को समन पर जांच अधिकारी के सामने पेश किया गया और चार्जशीट पहले ही दाखिल की जा चुकी है। उच्च न्यायालय (High Court) ने कहा, “ऐसी हालातों में इस कोर्ट का विचार है कि आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है।”
- उच्च न्यायालय ने कहा कि वो थार एसयूवी में चालक समेत तीन लोगों की हत्या पर अपनी नजरें नहीं हटा सकता, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने मार दिया था। मारे गये तीन लोगों में हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर का नाम शामिल है, अदालत ने कहा कि, तस्वीरों से प्रदर्शनकारियों की बेरहमी का पता चलता है।
- ये कहते हुए कि सिर्फ चार आरोपियों को आरोपित किया गया था, अदालत ने कहा कि विरोध के आयोजकों को जांचकर्ताओं के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं की पिटाई करने वाले अन्य लोगों का विवरण देने में मदद करनी चाहिए।
आशीष मिश्रा की जमानत पर विपक्ष की कड़ी राजनीतिक प्रतिक्रिया सामने आयी। जिसमें आरोप लगाया गया है कि सत्तारूढ़ भाजपा खुद को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है। एक रैली में इसी मुद्दे को उठाते हुए, प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने पूछा: “मंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया?”
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा (Trinamool Congress MP Mahua Moitra) ने सवाल किया कि आशीष मिश्रा जमानत के हक़दार कैसे बना। महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर लिखा कि, “जमानत के 3 बुनियादी सिद्धांत जिसके आधार पर अभियुक्त को ज़मानत मिलती है: 1. गवाहों को डराना 2. सबूतों को खत्म करना 3. जोखिम होना। आशीष मिश्रा जमानत की शर्त 1 को कैसे पूरा करते हैं? चुनावी मौसम में मंत्री का बेटे की गिरफ्तारी तीन दिन बाद की जाती है।