न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाष सिंह की कोर्ट ने 31 साल पुराने एक मामले में लड़की के परिवारवालों की मर्जी के खिलाफ शादी मंशा रखने वाले लड़के हत्या के आरोप में उसके 75 वर्षीय किसान और उसके 52 वर्षीय बेटे को उम्रकैद बमशक्कत की सज़ा मुकर्रर की।
मामला 1992 का है और इसका फैसला गुरुवार (9 फरवरी 2023) को आया। 19 वर्षीय पीड़ित ज्ञानेंद्र कुमार त्रिपाठी जो सीतापुर जिले (Sitapur District) के एक कॉलेज में पढ़ता था, खीरी के नीमगाँव (Neemgaon) इलाके में वो अपने परिवार के पास जा रहा था, जब उसका अपहरण कर लिया गया और बाद में दो लोगों ने उसे ‘पारिवारिक सम्मान’ के लिये गोली मार दी। पूछताछ के दौरान मुख्य आरोपी सुरेश चंद्र मिश्रा ने पुलिस को बताया कि त्रिपाठी ने उनके घर में डकैती डालने की कोशिश की थी, इसलिये उन्होंने लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) एसपी यादव ने मीडिया को बताया कि, “मिश्रा और उनके परिवार ने ये दावा करके मामले को मोड़ने की कोशिश की कि ज्ञानेंद्र ने कुछ अज्ञात लोगों के साथ मिलकर उनके घर को लूटने की कोशिश की थी और पीड़ित परिवार के आने से पहले ही तुरंत प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। बाद में सुरेश, उनके बेटे रामलोतन और दो अन्य के खिलाफ खीरी के मितौली पुलिस स्टेशन (Mitauli Police Station) में संबंधित आईपीसी (IPC) की धाराओं के तहत क्रॉस प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।
यादव ने आगे कहा कि, “वारदात के सात साल बाद सीबी-सीआईडी जांच से पता चला कि मिश्रा की बेटी के साथ संबंध रखने के लिये त्रिपाठी की हत्या कर दी गयी थी। परिवार को ये मंजूर नहीं था क्योंकि वो ‘निचले ब्राह्मण गोत्र’ से था। लड़की की ओर से लिखे गये तीन प्रेम पत्र इस बात की तस्दीक करते है, जिससे अभियुक्तों को पकड़ने में पुलिस को खासा मदद मिली। जिसके बाद आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिये कई व्यक्तियों की ओर से किया गया आपराधिक कृत्य) के तहत अदालत में चार्जशीट पेश की गयी। मामले की सुनवाई आखिरकार हुई 2006 में शुरू हुई। मामले में दर्ज किये गये अन्य दो अभियुक्त नाबालिग थे।
अतिरिक्त जिला सरकारी वकील कपिल कटियार ने कहा कि, “पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि गोली मारने से पहले पीड़ित पर हमला किया गया था। उसके शरीर पर कई चोटें थीं और उसके सिर पर गहरा घाव था। नौ गवाहों की गवाही और सबूत पेश करने के बाद कोर्ट ने सुरेश और उसके बेटे को दोषी ठहराया और उन्हें 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनायी। जमानत मिलने से पहले दोनों ने जो वक्त जेल में काटा कोर्ट ने उसे सजा में एडजस्ट करने की बात कहीं है।