न्यूज डेस्क (ओंकारनाथ द्विवेदी): उपराज्यपाल वीके सक्सेना (LG VK Saxena) ने दिल्ली के मुख्य सचिव से बिजली कंपनी बीएसईएस (Power Company BSES) को आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा दी जाने वाली बिजली सब्सिडी में कथित “अनियमितताओं और खामियों” की जांच करने को कहा है। इस पर उन्होंने सात दिन में रिपोर्ट देने की मांग की है।
इस साल की शुरुआत में सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति (Delhi Excise Policy) पर इसी तरह की रिपोर्ट मांगी थी। बाद में उन्होंने कथित खामियां पायी और मामले की सीबीआई (CBI) जांच के आदेश दिये। मामले में मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) मामले के एक दर्जन से ज्यादा आरोपियों में से एक है। जांच के आदेश के बाद दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने आबकारी नीति वापस ले ली थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक सक्सेना ने ये कार्रवाई तब की, जब उन्हें एक शिकायत मिली थी, जिसमें अनियमितता और भारी खामियों का आरोप लगाया था।
बता दे कि जिस कथित शिकायत की बुनियाद पर इस जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है, उसे नामी गिरामी वकीलों, न्यायविदों और कानून पेशेवरों ने लिखा है। खत में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL) और बीएसईएस यमुना पावर के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में निदेशक के तौर पर नामित किया गया था। माना जा रहा है कि बीवाईपीएल लिमिटेड में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिये (क्योंकि ये बीवाईपीएल और बीआरपीएल के 49 प्रतिशत शेयरों का मालिक है) नामित किया गया ताकि दिल्ली सरकार के हितों की रक्षा हो सके।
शिकायतकर्ताओं ने आगे आरोप लगाया कि आप ने अपनी पार्टी के सक्रिय राजनीतिक पदाधिकारियों को नियुक्त किया, जैस्मीन शाह और नवीन एनडी गुप्ता (Jasmine Shah and Naveen ND Gupta) को बीआरपीएल और बीवाईपीएल के निदेशक मंडल में नामित निदेशक बनाया गया ताकि अनिल अंबानी के मालिकाना हक़ वाली इन दोनों कंपनियों (बीआरपीएल और बीवाईपीएल) के साथ मिलकर जनता के पैसे को ठगने की ये कवायद बिना किसी सरकारी दखल के पूरी की जा सके।
शिकायतकर्ताओं ने आम आदमी पार्टी पर की गयी अपनी शिकायत में आगे आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने भुगतान में चूक के लिये 21,250 करोड़ रूपये की बकाया राशि की वसूली के बजाय बीआरपीएल और बीवाईपीएल के साथ आरामदायक सौदा किया है। चूककर्ता विक्रेता DISCOMS (बीआरपीएल और बीवाईपीएल) द्वारा राज्य के मालिकाना हक वाली बिजली उत्पादन कंपनियों से खरीदी गयी बिजली के लिए और इसे दिल्ली में आगे के कारोबार से वंचित करने के लिये इस कवायद को अंजाम दिया गया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने भी DISCOMS को लोगों से 18 फीसदी की दर से लेट पेमेंट सरचार्ज (LPSC) चार्ज करने और सिर्फ दिल्ली सरकार के मालिकाना हक़ वाली बिजली उत्पादन कंपनियों को 12 प्रतिशत की दर से भुगतान करने की मंजूरी दी।
बता दे कि ये कदम आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच फिर से टकराव पैदा कर सकता है। फिलहाल इस मामले पर दिल्ली सरकार ने अभी तक आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।