Lionel Messi: लियोनल मेस्सी के आंसू और बार्सिलोना के बंद दरवाज़े

एफ़सी बार्सिलोना से विदाई पर लियोनल मेस्सी (Lionel Messi) के रुदन ने करोड़ों फ़ुटबॉलप्रेमियों और उनके प्रशंसकों को विकल और हतप्रभ कर दिया है। दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल का सबसे बड़ा सितारा बालकों की तरह निरुपाय होकर रो पड़ा था। पेशेवर खेल की दुनिया में ऐसे क्षणों की अपेक्षा नहीं की जाती, जब तक कि किसी खिलाड़ी का किसी टीम से गहरा भावनात्मक लगाव ना हो लेकिन मेस्सी की बार्सिलोना से विदाई में एक शॉक-वैल्यू भी थी। ये दु:ख तो था ही, सदमा भी था। किसी को कानोंकान ख़बर नहीं थी कि ये होगा, कोई इसे आता नहीं देख पाया। किसी को इसके लिए ख़ुद को तैयार करने का समय नहीं मिल पाया।

चार दिन पहले तक ख़ुद लियो मेस्सी को नहीं मालूम था कि 21 साल से वो जिस क्लब से जुड़े रहे, उससे अब उनका सम्बंध विच्छेद होने वाला है। कोई डेढ़ महीने पहले अर्जेन्तीना के लिये अपनी पहली अंतर्राष्ट्रीय ट्रॉफ़ी जीतने के बाद मेस्सी छुटि्टयों पर चले गए थे। उत्फुल्लता और प्रशान्ति ने उनके व्यक्तित्व को आपादमस्तक ग्रस लिया, जैसा कि एक सुदीर्घ-प्रतीक्षा के बाद कोई जीवन-प्रयोजन सिद्ध होने पर हम पर छा जाती है। चार दिन पहले वो छुटि्टयाँ समाप्त कर अपने प्रिय क्लब बार्सिलोना लौटे, जहाँ उनका घर है, उनके बच्चों का स्कूल है, जहाँ उन्होंने अपना लगभग पूरा जीवन बिताया है।

वो अपना नया अनुबंध साइन करने आये थे, लेकिन उन्हें बतलाया गया कि किन्हीं बाध्यताओं के कारण अनुबंध साइन नहीं किया जा सकता। मेस्सी की आँखों के आगे अंधेरा छा गया होगा। ये एक अप्रत्याशित क्षण था और पेशेवर खेलों की दुनिया में इसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं। ट्रांसफ़र-विंडो समाप्त होने जा रही थी और मेस्सी दूसरी टीमों को पहले ही इंकार कर चुके थे। उन टीमों ने मायूस होकर दूसरे खिलाड़ियों को साइन कर लिया था। इनमें मैनचेस्टर सिटी का नाम प्रमुख है, जो बीते दो सालों से निरंतर मेस्सी को लाने का प्रयास कर रही थी, लेकिन हारकर उसने जैक ग्रीलिश (Jack Grealish) को हंड्रेड मिलियन यूरो में साइन किया और उसे 10 नम्बर की जर्सी भी सौंप दी- जो यक़ीनन मेस्सी को मिलती अगर वो समय रहते मैनचेस्टर चले जाते।

दूसरे शब्दों में- दुनिया का सबसे लोकप्रिय फ़ुटबॉलर अपनी नौकरी खो चुका था और अब वह बेकार था। उसके पास कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं था और नया सीज़न शुरू होने जा रहा था। उसने अपने जीवन और भविष्य को बार्सीलोना पर कमिट कर दिया था और सहसा उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खींच ली गई थी। ज़ुबानी तौर पर क़रारनामों पर पहले ही सहमति बन गई थी और मेस्सी पहले से आधी तनख़्वाह पर खेलने के लिए राज़ी हो चुके थे। कोविड के कारण तमाम फ़ुटबॉल क्लबों की माली हालत खस्ता हो चुकी है। अधिकतर मुक़ाबले दर्शकों के बिना खेले जा रहे हैं और गए साल अनेक महीनों तक फ़ुटबॉल पर रोक लगी रही थी। इसके बावजूद अगर बार्सिलोना-प्रबंधन विवेक और बुद्धि से काम लेता तो ये नौबत नहीं आती।

चार दिन पहले जब मेस्सी बार्सीलोना पहुँचे तो तमाम भरोसेमंद सूत्रों ने रिपोर्ट दी कि जल्द ही नया अनुबंध साइन कर लिया जायेगा लेकिन सहसा ख़बर आयी कि मेस्सी और बार्सीलोना का सम्बंध विच्छेद हो चुका है। इस न्यूज़ की शॉक-वेव इतनी थी कि इसने दुनिया को झकझोर दिया है और तमाम दूसरी ख़बरें पृष्ठभूमि में चली गयी। ये इतना अविश्वसनीय था कि कोई इस पर प्रतिक्रिया देने की स्थिति में नहीं था। प्रेस-वार्ता में मेस्सी के आँसुओं के बाद ही इस ख़बर पर अंतिम रूप से मुहर लग सकी थी।

एक खिलाड़ी किसी टीम के लिए खेलता है। वो उस टीम के बैज और झण्डे का प्रतिनिधित्व करता है। जितने भी टीम-गेम हैं- जैसे कि क्रिकेट, हॉकी, फ़ुटबॉल, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल इत्यादि- उनमें खेलने वाली टीमों की कालान्तर में एक स्वतंत्र पहचान स्थापित हो जाती है, जिसकी नुमाइंदगी उनके सितारा खिलाड़ी करते हैं। खेलों के इतिहास में किसी एक टीम का किसी एक खिलाड़ी से इतना लम्बा, गहरा और भावनात्मक सम्बंध नहीं रहा है, जितना लियो मेस्सी का बार्सिलोना से रहा है। इसकी तुलना भारतीय क्रिकेट टीम के सचिन तेंडुलकर से सम्बंध से ही की जा सकती है और सभी जानते हैं कि सचिन की विदाई के दिन भारतीय क्रिकेटप्रेमियों की क्या दशा थी। अंतर ये है कि सचिन ने नियमपूर्वक संन्यास लिया था और उन्हें एक गरिमापूर्ण विदाई दी गई थी, जबकि मेस्सी को अप्रत्याशित रूप से क्लब छोड़ने को कहा गया और उन्हें ठीक से विदा कहने का समय और अवसर ही नहीं मिला। वे इससे कहीं बेहतर अन्त के सुपात्र थे, क्योंकि बीते अनेक सालों में बार्सिलोना के निरन्तर पराभव के बावजूद वो उससे निभाते रहे, जबकि उनके पास दूसरे विकल्पों की कमी नहीं थी। लेकिन इतना धनवान व्यक्ति भी अपने लिए एक सम्यक विदा नहीं ख़रीद सका था।

एक ऐसा अन्त जिसमें उसके जीवन के सभी परिप्रेक्ष्य एक क्षण में झिलमिला उठते। इतना सफल और समर्थ होकर भी वो ये नहीं चुन सका था कि मैं तब तक नहीं समाप्त होऊँगा, जब तक पूरा जी नहीं लेता अपना ये अवसान। सुखद और गहरी स्मृतियों, लगाव के मानचित्रों और स्वप्नों के एक लम्बे सिलसिले को यों अचानक बिना किसी पूर्वसूचना के कैसे समाप्त हो जाना था? विदा के ऋण का दाय बहुत बड़ा होता है, ये आत्मा में कंटक की तरह खटकता है। जाने कब और कैसे मनुष्य के मन में ये आकांक्षा घर कर गयी थी कि अव्वल तो जो सुन्दर है वो कभी समाप्त ही ना हो। और अगर हो तो विदाई के परिप्रेक्ष्य सम्यक हों। वो कविता है ना- 'एक क्षण में कोई मरता नहीं, एक निमिष में गलता नहीं हिमालय, इतना लम्बा ये जीवन यों एक क्षण में चुक जाये ये ठीक नहीं लगता।' किंतु ये एक प्रवंचना ही है। देखें तो बहुधा जीवन एक क्षण में ही चुकता है और हमेशा ही सबको विदा कहने का अवसर नहीं मिलता। सृष्टि के इतने नियमों में ये कोई नियम नहीं है कि सुन्दर चीज़ों का अन्त भी सुन्दर होगा। मेस्सी के रुदन में विदाई का दु:ख तो था ही, वैसी सुन्दरता की क्षति का शोक भी था- जो अपनी पूर्णता को नहीं पा सकी थी।

लियो मेस्सी ने बार्सीलोना में अपने इक्कीस साल के जीवन को विदा कहा और पेरिस पहुँच गये। वो अब फ्रांसीसी लीग की टीम पेरिस-सेंट-जर्मेन के लिए खेलेंगे। यूरोप की शीर्ष पाँच लीगों में इसे सबसे कमज़ोर माना जाता है और फ़ुटबॉल की दुनिया में पीएसजी का अधिक मान-सम्मान नहीं है, क्योंकि आयैक्स, आर्सनल, बार्सीलोना, मैनचेस्टर यूनाइटेड, एसी मिलान (Ayx, Arsenal, Barcelona, Manchester United, AC Milan) की तरह इस टीम की अपनी कोई खेल-संस्कृति नहीं है, गरिमामयी इतिहास नहीं है, ये पैसों के बल पर बड़ा बनना चाहती है। मेस्सी अपने मन से वहाँ कभी नहीं जा सकते थे, किंतु निर्विकल्प होने पर अब वे मुस्कराते हुए पेरिस पहुँचे हैं।

कई समीकरण यहाँ उनके पक्ष में हैं। उनके निकटतम मित्र नेमार और एन्ख़ेल डी मारिया पेरिस के लिए खेलते हैं। ये वही नेमार हैं, जिनके बार्सिलोना से चले जाने के बाद ये टीम निष्प्रभ हो गई थी और मेस्सी को उसके बाद अपनी जोड़ का कोई रचनात्मक-खिलाड़ी नहीं मिला। ये वही एन्ख़ेल डी मारिया (enchel di maria) भी हैं, जिनके निर्णायक गोल ने डेढ़ महीने पहले मेस्सी को कोपा अमरीका ख़िताब जिताया था। दुनिया का सबसे तेज़तर्रार नौजवान फ़ुटबॉलर कीलियन एमबाप्पे (keelian mbappe) भी पेरिस के लिये खेलता है। उनकी मिडफ़ील्ड बहुत ताक़तवर है जिसकी अगुवाई यूरो-विजेता मार्को वेरात्ती करते हैं। और रीयल मैड्रिड के कप्तान सेर्ख़ियो रामोस (serchio ramos)- जो स्पेन में आजीवन मेस्सी के धुर प्रतिद्वंद्वी रहे- भी कुछ ही दिनों पहले पेरिस से जुड़े हैं। मेस्सी के पास यहाँ नि:शंक होकर खेलने, बीसियों और गोल करने और अनेक ट्रॉफ़ियाँ जीतने का सुनहरा अवसर है। लेकिन उनका दिल हमेशा बार्सिलोना में बसा रहेगा।

भावनात्मक-लगाव से बड़ी कमज़ोरी कोई नहीं। पेशेवर खेलों की क्रूर, शुष्क और उदासीन दुनिया में मेस्सी एक उच्चतर मानक का इमोशनल-क्वोशेंट लेकर खेलते हैं। वे स्वभाव से ही निष्ठावान व्यक्ति हैं और रोज़ेरियो, नेवील्स ओल्ड बॉय्ज़, अर्जेन्तीना, ला मसीया, बार्सीलोना, कैम्प नोउ (Rosario, Neville's Old Boys, Argentina, La Messia, Barcelona, Camp Nou) के प्रति अपने लगाव के चलते उन्होंने जीवन में अनेक समझौते किये और अनेक बार अपमान सहा। यही स्थिति उनके व्यक्तिगत जीवन की मैत्रियों और सम्बंधों के साथ भी है।

पेशेवर फ़ुटबॉलर परिवार के प्रति निर्मोही होते हैं जबकि मेस्सी के साथ इसका ठीक उलटा है। जिन परिस्थितियों में मेस्सी को बार्सिलोना छोड़ना पड़ा, उसने उन्हें गहरा आघात पहुँचाया होगा- जो जब-तब सामने आता रहेगा। इसकी पहली अभिव्यक्ति ही उन आँसुओं के रूप में हुई थी, जो दुनिया के सामने उस पत्रकार-वार्ता में फूट पड़े थे। मनुष्य का हृदय संसार में एक समान्तर-धारा की तरह बहता है। उसके नियम ही दूसरे हैं। और अपने हृदय को हज़ार परदों में छुपाना हमेशा ही सबसे लिए इतना सम्भव नहीं रह पाता।

अलविदा मेस्सी, हम बार्सिलोना में तुमको हर पल याद करेंगे।

साभार - सुशोभित

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