नई दिल्ली (शौर्य यादव): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने वायरस इन्फेक्शन (virus infection) फैलने के बाद दूसरी बार ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के द्वारा जनता से मुखातिब हुए। आखिर बार पीएम मोदी ने 29 मार्च को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों को Covid-19 से जुड़े मसले पर संबोधित किया था। लॉकडाउन जारी होने के बाद पीएम मोदी तीन बार टीवी स्क्रीन पर आ चुके हैं। जिसमें से दो मौकों पर वो लॉकडाउन करने से जुड़े वक्तव्य दे चुके है और एक बार पंचायती राज दिवस पर ग्राम प्रधानों से लाइव प्रसारण के माध्यम से जुड़े। साथ ही पीएम मोदी लाइव कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से दिन भर अधिकारियों को दिशा निर्देश देते रहते है।
29 अप्रैल को संपन्न हुए, ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
- कोरोना के खिलाफ असली लड़ाई लड़ाई जनता लड़ रही है। आज पूरा देश एक साथ चल रहा है। ताली, थाली, मोमबत्ती ने देश को एकजुट होने का संदेश दिया। ऐसा लग रहा है मानो एक महायज्ञ चल रहा है। हर कोई अपने सामर्थ्य से लड़ रहा है। हमारे किसान भाईयों को ही देख लें, वे पूरी मेहनत कर रहे हैं ताकि कोई भूखा ना सोए।
- आप कहीं भी नजर डालिए, आपको एहसास हो जाएगा कि भारत की लड़ाई पिपुल ड्रिवेन है। जब पूरा विश्वास इस महामारी के संकट से जूढ रहा है, भविष्य में जब इसकी चर्चा होगी, उसके तौर तरीकों की चर्चा होगी, मुझे विश्वास है कि भारत की यह पिपुल ड्रिवेन लड़ाई, इसकी जरूर चर्चा होगी। भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई जनता लड़ रही है, आप लड़ रहे हैं, जनता के साथ मिलकर शासन, प्रशासन लड़ रहा है।
- दूसरों की मदद के लिए, आपके भीतर, हृदय से किसी कोने में, जो ये उमड़ता-घुमड़ता भाव है ना! वही वहीं कोरोना के खिलाफ, भारत की इस लड़ाई को ताकत दे रहा है, वही, इस लड़ाई को सच्चे मायने में पिपुल ड्रिवेन बना रहा है और हमने देखा है कि, पिछले कुछ साल में, हमारे देश में, यह मिजाज बना है, निरंतर मजबूत होता रहा है।
- हमारे किसान भाई-बहनों को ही देखिए– एक तरफ, वो, इस महामारी के बीच अपने खेतों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और इस बात की भी चिंता कर रहे हैं कि देश में कोई भी भूखा ना सोए। हर कोई, अपने सामर्थ्य के हिसाब से, इस लड़ाई को लड़ रहा है। कोई अपनी पूरी पेंशन, पुरस्कार राशि को, पीएम केयर्स में जमा करा रहा है। कोई खेत की सारी सब्जियां दान दे रहा है, कोई मास्क बना रहा है, कहीं मजदूर भाई-बहन क्वारंटीन बाद स्कूल की रंगाई-पुताई कर रहे हैं।
- हम भाग्यशाली हैं कि आज पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन इस लड़ाई का सिपाही है और लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। पूरे देश में, गली मोहल्लों में जगह-जगह पर, आज लोग एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आए हैं। गरीबों के लिए खाने से लेकर, राशन की व्यवस्था हो, लॉकडाउन का पालन हो, अस्पतालों की व्यवस्था हो, मेडिकल इक्विपमेंट का देश में ही निर्माण हो- आज पूरा देश एक लक्ष्य, एक दिशा, साथ-साथ चल रहा है।
- सरकार ने http://covidwarriors.gov.in के माध्यम से सामाजिक संस्थाओं के स्वयंसेवी, नागरिक समाज के प्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। इनमें डॉक्टर, नर्सिंग, आशा, एएनएम, एनसीसी, एनएसएस, व अन्य प्रोफेशनल्स हैं जो क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान बनाने मदद कर रहें हैं। साथियो, हर मुश्किल हालात, हर लड़ाई, कुछ-न-कुछ सबक देती है, कुछ-न-कुछ सिखा करके जाती है, सीख देती है। कुछ संभावनाओं के मार्ग बनाती है और कुछ नई मंजिलों की दिशा भी देती है।
- देश के हर हिस्से में दवाईयों को पहुंचाने के लिए लाइफलाइन उड़ान नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है। 500 टन से अधिक मेडिकल सामग्री देश के कोने-कोने में पहुंचा है। रेल मंत्रालय 100 से भी ज्यादा पार्सल ट्रेन चला रही है। ये सच्चे अर्थ में, कोरोना योद्धा हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत गरीबों के अकाउंट में पैसे, सीधे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। वृद्धावस्था पेंशन जारी की गई है। गरीबों को 3 महीने के मुफ्त गैस सिलेंडर, राशन सुविधाएं दी जा रही हैं। इसमें, सरकारी विभागों के लोग, बैंकिंग सेक्टर दिन-रात काम कर रहे हैं।
- चाहे करोड़ों लोगों का गैस सब्सिडी छोड़ना हो, लाखों वरिष्ठ नागरिक का रेलवे सब्सिडी छोड़ना हो, स्वच्छ भारत अभियान का नेतृत्व लेना हो, शौचालय बनाना हो- अनगिनत बातें ऐसी है। इन सारी बातों से पता चलता है कि – हम सबको, – एक मन, एक मजबूत धागे से पिरो दिया है। एक होकर देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी है।
- हमारे देश की राज्य सरकारों की भी इस बात के लिए प्रशंसा करूंगा कि वो इस महामारी से निपटने में बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारें जो जिम्मेदारी निभा रही हैं, उसकी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ी भूमिका है। उनका ये परिश्रम बहुत प्रशंसनीय है। हमारे डॉक्टर, नर्सिंग, पैरा-मेडिकल स्टाफ, सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों और ऐसे सभी लोग, जो देश को ‘कोरोना-मुक्त’ बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं, उनकी रक्षा करने के लिए ये कदम बहुत जरुरी था।
- मेरे प्यारे देशवासियों, हम सब अनुभव कर रहे हैं कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ इस लड़ाई के दौरान हमें अपने जीवन को, समाज को, आप-पास हो रही घटनाओं को, एक ताजा नजरिए से देखने का अवसर भी मिला है। समाज के नजरिए में भी व्यापक बदलाव आया है। डॉक्टर हों, सफाईकर्मी हों, अन्य सेवा करने वाले लोग हों- इतना ही नहीं, हमारी पुलिस-व्यवस्था को लेकर भी आम लोगों की सोच में काफी बदलाव हुआ है। हमारे पुलिसकर्मी गरीबों, जरुरतमंदो को खाना पंहुचा रहे हैं, दवा पंहुचा रहे हैं।
- जिस तरह से हर मदद के लिए पुलिस सामने आ रही है इससे पुलिसिंग का मानवीय और संवेदनशील पक्ष हमारे सामने उभरकर के आया है। हमारे पुलिसकर्मियों ने, इसे जनता की सेवा के एक अवसर के रूप में लिया है। हम सबने इस सकारात्मकता को कभी भी नकारात्मकता के रंग से रंगना नहीं है। प्रकृति, विकृति और संस्कृति, इन शब्दों को एक साथ देखें और इसके पीछे के भाव को देखें तो आपको जीवन को समझने का भी एक नया द्वार खुलता हुआ दिखेगा। ‘ये मेरा है’, ‘मैं इसका उपयोग करता हूं’ बहुत स्वाभाविक माना जाता है। इसे हम ‘प्रकृति’ कह सकते हैं।
- ‘जो मेरा नहीं है’, ‘जिस पर मेरा हक़ नहीं है’ उसे मैं दूसरे से छीन लेता हूं, उसे छीनकर उपयोग में लाता हूं तब हम इसे ‘विकृति’ कह सकते हैं। इन दोनों से परे, प्रकृति और विकृति से ऊपर जब कोई संस्कारित-मन सोचता है या व्यवहार करता है तो हमें ‘संस्कृति’ नजर आती है। भारत ने अपने संस्कारो के अनुरूप, हमारी सोच के अनुरूप, हमारी संस्कृति का निर्वहन करते हुए कुछ फैसले लिए। संकट की इस घड़ी में, दुनिया के लिए, समृद्ध देशों के लिए भी दवाईयों का संकट बहुत ज्यादा रहा है। भारत ने अपने संस्कृति के अनुरूप फैसला लिया।
- दुनिया-भर में भारत के आयुर्वेद और योग के महत्व को लोग बड़े विशिष्ट-भाव से देख रहे हैं। कोरोना की दृष्टि से, आयुष मंत्रालय ने इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जो प्रोटोकॉल दिया था, मुझे विश्वास है कि आप लोग, इसका प्रयोग, जरूर कर रहे होंगे। वैसे ये दुर्भाग्य रहा है कि कई बार हम अपनी ही शक्तियां और समृद्ध परम्परा को पहचानने से इंकार कर देते हैं। लेकिन, जब विश्व का कोई दूसरा देश, एविडेंस बेस्ट रिसर्च के आधार पर वही बात करता है। तो हम उसे हाथों-हाथ ले लेते हैं। युवा-पीढ़ी को अब इस चुनौती को स्वीकार करना होगा।
- साथियो, वैसे कोविड-19 के कारण कई सकारात्मक बदलाव, हमारे काम करने के तरीके, हमारी जीवन-शैली और हमारी आदतों में भी स्वाभाविक रूप से अपनी जगह बना रहे हैं। इनमें सबसे पहला है– मास्क पहनना और अपने चेहरे को ढ़ककर रखना। जब मैं मास्क की बात करता हूं, तो, मुझे पुरानी बात याद आती हैं। एक जमाना था, कि हमारे देश के कई ऐसे इलाके होते थे कि, वहां अगर कोई नागरिक फल खरीदता हुआ दिखता था तो लोग उसको जरुर पूछते थे– क्या घर में कोई बीमार है? समय बदला और ये धारणा भी बदली।
- हमारे समाज में एक और बड़ी जागरूकता ये आई है कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं। अब, ये थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए। ये बातें जहां बेसिक हाइजीन का स्तर बढ़ाएंगी, वहीं, कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में भी मदद करेगी। ये सुखद संयोग ही है, कि, आज जब आपसे मैं मन की बात कर रहा हूं तो अक्षय तृतीया का पवित्र पर्व भी है साथियो, ‘क्षय’ का अर्थ होता है विनाश लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो, जो कभी समाप्त नहीं हो वो ‘अक्षय’।
- रमजान का भी पवित्र महीना शुरू हो चुका है। अब अवसर है इस रमजान को संयम, सद्भावना, संवेदनशीलता और सेवा-भाव का प्रतीक बनाएं। इस बार हम, पहले से ज्यादा इबादत करें ताकि ईद आने से पहले दुनिया कोरोना से मुक्त हो जाए। मुझे विश्वास है कि रमजान के इन दिनों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ चल रही इस लड़ाई को हम और मजबूत करेंगे।
- पिछले दिनों ही हमारे यहां बिहू, बैसाखी, पुथंडू, विशू, ओड़िया न्यू ईयर ऐसे अनेक त्योहार आए। हमने देखा कि लोगों ने कैसे इन त्योहारों को घर में रहकर, सादगी के साथ मनाया। लॉकडाउन के नियमों का पालन किया। इस बार हमारे ईसाई दोस्तों ने ईस्टर भी घर पर ही मनाया है। इस वैश्विक-महामारी, कोविड-19 के संकट के बीच आपके परिवार के एक सदस्य के नाते, और आप सब भी मेरे ही परिवार-जन हैं, तब कुछ संकेत करना, कुछ सुझाव देना, यह मेरा दायित्व भी बनता है।
- याद रखिये, हमारे पूर्वजों ने कहा है- ‘अग्नि: शेषम् ऋण: शेषम्, व्याधि: शेषम् तथैवच। पुनः पुनः प्रवर्धेत, तस्मात् शेषम् न कारयेत।। हल्के में लेकर छोड़ दी गई आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाते ही दोबारा बढ़कर खतरनाक हो जाती हैं। दो गज की दूरी, बहुत है जरूरी। अगली मन की बात के समय जब मिलें तब, इस वैश्विक-महामारी से कुछ मुक्ति की खबरें दुनिया भर से आएं, मानव-जाति इन मुसीबतों से बाहर आए– इसी प्रार्थना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।