नई दिल्ली (पद्मनाभ नंद): देश के कई राज्य केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अलावा अपनी ओर से भी कोरोना गाइडलाइंस (Corona Guidelines) तैयार कर रहे हैं। राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई ये कवायद कहीं ना कहीं उन लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती दिखी, जिनके कंधों पर वायरस इन्फेक्शन (Virus Infection) की रोकथाम और बचाव का काम है। जिसकी वजह से डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और फार्मेसिस्ट को एक राज्य से दूसरे राज्य में आने जाने को लेकर खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। राज्यों की मनमानी का असर उन लोगों पर भारी पड़ा, जिन्हें वायरस संक्रमण नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्यों के सामने खासा नाराजगी जाहिर की। गैर संक्रमित व्यक्तियों को चिकित्सकीय परामर्श सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से फरमान जारी कर कहा गया- डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और फार्मेसिस्ट के आवागमन पर राज्य सरकारें किसी भी तरह का प्रतिबंध लागू ना करें। उन्हें एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए प्रदेश सरकारें सहायता मुहैया करवाएं।
गौरतलब है कि, हाल ही में चिकित्सा कर्मियों के आवागमन को लेकर लगे प्रतिबंध के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में मेडिकल सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह सचिव राजीव भल्ला ने कहा- वायरस संक्रमण और दूसरी बीमारियों की रोकथाम में लगे चिकित्सा कर्मियों के सुचारू आवागमन को राज्य सरकारें सुनिश्चित करें। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हुए सीमा पर उन्हें परेशान ना किया जाए। इन लोगों के कारण ही स्वास्थ्य सेवाएं और लोगों का जीवन बचाने का काम संभव हो पाता हैं। इस दौरान निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स के परिचालन को पूरी तरह छूट होगी। ये निजी संस्थान अस्पतालों का बोझ हल्का करते हैं।
गृह मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि- सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में निजी अस्पताल और नर्सिंग होम बेरोकटोक काम करते रहेंगे। साथ ही राज्यों की ये जिम्मेदारी बनती है कि सफाई कर्मियों, एंबुलेंस, पैरामेडिकल स्टाफ, डॉक्टर्स, फार्मेसिस्ट और चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दूसरे पेशेवरों के सुविधा पूर्ण मोबिलाइजेशन को राज्य सुनिश्चित करें।