नई दिल्ली (गौरांगी यदुवंशी): कूटनीतिक स्तर पर चीन (China) चौतरफा घिरता जा रहा है। जर्मनी ने चीन को वायरस इन्फेक्शन से हुए नुकसान के लिए, मुआवजे की मांग करते हुए तलब किया। कुछ इसी तरह की आवाजें अमेरिका से भी उठती दिख रही है। कोरोना वायरस (corona virus) की कड़ियां वुहान जुड़े होने के कारण लोग मौजूदा हालातों के लिए चीन को दोषी मान रहे हैं। इसी मामले को लेकर तमिलनाडु में मदुरई जिले के निवासी के.के. रमेश ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। के.के. रमेश द्वारा दायर की गई में कहा गया कि- केंद्र सरकार मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस हेग में ले जाये। जान माल और अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के लिए चीन से 600 अरब डॉलर का हर्जाना वसूला जाये। जिसके लिए की माननीय सर्वोच्च न्यायालय केंद्र सरकार को दिशा निर्देश जारी करें। याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और कानून मंत्रालय को याचिका में वादी बनाया।
के.के. रमेश के मुताबिक वायरस का जन्म चीन के वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में हुआ। स्थानीय पशु मार्केट से होता हुआ ये पूरे विश्व में फैल गया। चीनी कम्युनिस्ट सरकार मामले से पल्ला झाड़कर भारत समेत पूरे विश्व को बरगला रही है। अब यह बात पुख्ता तौर पर साबित हो चुकी है कि, चीन का ये कदम उसकी विस्तारवादी नीतियों का नतीजा है। विश्व भर की शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं को खोखला करने के लिए चीन की ओर से ये जैविक युद्ध शुरू किया गया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय का रुख इसलिए किया, क्योंकि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में किसी भी देश का नागरिक सीधे तौर पर याचिका दायर नहीं कर सकता। हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला दर्ज करवाने के लिए देशों के सर्वोच्च न्यायालय की अनुशंसा का होना ज़रूरी है।