न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): जी हाँ आप लोगों ने सही सुना। मगावा (Magawa) नाम के चूहे को गोल्ड मिला है। बीते शुक्रवार ब्रिटेन की गैर लाभकारी संस्था पीडीएसए ने अफ्रीकी जाइंट पाउच्ड चूहे मगावा (African Giant Pouched Rat Magawa) को लंदन में गोल्ड मेडल से नवाज़ा है। पीडीएसए गोल्ड मेडल उन जानवरों को दिया जाता है, जिन्होनें दिलेरी के कारनामों को अन्ज़ाम दिया होता है। मगावा अब तक कई बारूदी सुरंगों, डेटोनेटर्स और गोला-बारूदों (Landmines, detonators and ammunition) का पता लगा चुका है। जिससे बहुत सी ज़िन्दगियां बचाने में काफी मदद मिली। मगावा के सूंघने की काबिलियत गज़ब की है। गोला-बारूदों का पता लगते है ये फुर्ती के साथ जमीन खोदना शुरू कर देता है जिससे इसके हैडलर्स को विस्फोटकों की सही लोकेशन पता लग जाती है।
मगावा को ये हुनर बेल्जियम के एनजीओ एपोपो (Belgian NGO Apopo) ने सिखाया है। एपोपो साल 1990 से ही जानवरों को इस काम ट्रेनिंग मुहैया करवा रहा है। मगावा की ट्रेनिंग इतनी ज़बरदस्त है कि टेनिस कोर्ट जितने बड़े मैदान में गोला-बारूद की छानबीन करने में उसे सिर्फ 20 मिनट का वक़्त लगता है। ज़मीन खोदकर ये लैंडमाइंस के सम्पर्क में भी आ जाता है लेकिन मगावा का वज़न कम होने की वज़ह से वो फट नहीं पाती है। कंबोडिया में इस चूहे ने अपनी काबिलियत के झंडे गाड़े है। कंबोडिया अभियान के दौरान मगावा ने 15 लाख वर्ग फीट इलाके में बारूदी सुरंगों की जांच कर उन्हें सुरक्षित जोन में बदलने में मदद की। ये इलाका तकरीबन 20 फुटबॉल के मैदानों जितना बड़ा होता है। कंबोडिया में इन लैंड माइंस को साल 1970 और 1980 के दशक के दौरान हुई सिविल वॉर (Cambodia Civil War) के दौरान बिछाया गया था।
चूहों को इस काम के लिए तैयार करने में एपोपो को एक साल का वक्त लगता है। जिसमें चूहों को ये समझाया और सिखाया जाता है कि जमीन के अन्दर छिपे गोला-बारूद और दूसरी चीज़ों में फर्क कैसे किया जाये। विस्फोटकों की मौजूदगी होने पर अपने हैडलर्स को कैसे प्रतिक्रिया देनी है। 70 सेंटीमीटर लंबा और 1.2 किलो वज़नी मगावा आधे घंटों में इतना काम करता है, जिसे सुरक्षा बलों को पूरा करने में चार दिन का समय लग जाता है। फिलहाल मगावा की उम्र सात साल की है। अब जल्द ही वो अपने इस काम से रिटायर होने जा रहा है। अपने एक्टिव करियर के दौरान उसने कई लैंड माइंस और गोला बारूदों को फटने से रोका है। इस नन्हें से चूहे के किस्से अब ब्रिटेन से निकलकर पूरी दुनिया में फैलने लगे है।