Congress अध्यक्ष पद के लिये मल्लिकार्जुन खड़गे ही थे सोनिया गांधी की पसंद : पूर्व कांग्रेसी नेता अश्विनी कुमार

न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता अश्विनी कुमार ने कहा कि नवनिर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) इस पद के लिये सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की अघोषित पसंद थे। उन्होंने कहा कि इस चुनाव ने दिखाया कि जब पार्टी की आंतरिक राजनीति की बात आती है तो गांधी के पास अभी भी पूरी कमान है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमार ने कहा कि खड़गे के चुनाव ने कांग्रेस नेताओं के इस दावे पर शक पैदा किया कि गांधी परिवार इन चुनावों पूरी तरह तटस्थ था और उन्होनें किसी उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर रहे थे।

अपने बयान में अश्विनी कुमार ने कहा कि- “खड़गे उनकी (सोनिया गांधी) अघोषित पसंद थे। अंदरखाने कोई भी कांग्रेस नेता ये नहीं कहा सकता कि ये निर्विवादित चुनाव था। सोनिया गांधी ने एक बार फिर अपने लंबे सियासी सफर का तर्जुबा इन चुनाव में दिखा दिया। इससे साबित होता है कि पार्टी की कमान पूरी तरह और हमेशा गांधी परिवार के पास ही रहेगी। कांग्रेस में पहला और आखिरी हुक्म गांधी परिवार का ही चलता आया है और चलता रहेगा।

कुमार ने आगे कहा कि शशि थरूर (Shashi Tharoor) चुनावों में हारे नहीं थे क्योंकि उन्होंने एक राजनीतिक बयान दिया था। इस पर उन्होनें कहा कि-  “चुनाव प्रक्रिया उनके लिये जीत है। उन्होंने बात चलाकर राजनीतिक बयान देने में अपनी एनर्जी को इंवेस्ट किया। उन्होंने जी -23 गुट में अपनी अपना दबदबा कायम करते हुए अपने ज्यादातर सहयोगियों को पीछे छोड़ दिया है और खुद की एक अलग पहचान को कायम किया है।

बता दे कि खड़गे ने अपनी शानदार जीत में थरूर को 6,000 से ज्यादा वोटों से हराया। थरूर ने पहले कहा था कि चुनाव में गांधी परिवार (Gandhi Family) पूरी तरह तटस्थ था। हालांकि बाद में उन्होंने एक इंटरव्यूह में कहा कि जब वो अपने राज्यों में प्रचार करने गये तो कई राज्य इकाई के प्रमुखों उन्हें काफी बेरूखी प्रतिक्रिया दी। जिसका साफ मतलब था कि उनके लिये समान अवसर नहीं था।

बुधवार (19 अक्टूबर 2022) को उनकी टीम ने पार्टी को खत लिखकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए वहां चुनाव रद्द करने की मांग की। अश्विनी कुमार उन कई असंतुष्ट कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कांग्रेस पार्टी में ज्यादा आंतरिक लोकतंत्र की मांग के बीच पार्टी छोड़ दी।

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