न्यूज डेस्क (देवेंद्र कुमार): Manipur Clashes: मणिपुर में हथियार लूटने की हालिया वारदात में दंगाइयों की भीड़ ने पुलिस हथियारखाने में तोड़-फोड़ की और हथियार लूट लिये। लूटे गये हथियारों में एके और घातक सीरीज की असॉल्ट राइफलें और अलग-अलग कैलिबर की 19,000 से ज्यादा गोलियां शामिल थीं।
लूट की ये वारदात बिष्णुपुर जिले के नारानसैना के सेकेंड इंडिया रिजर्व बटालियन (IRB- India Reserve Battalion) के बटालियन मुख्यालय में हुई। शुरूआती जानकारी में सामने आ रहा है कि चुराचांदपुर की ओर मार्च करने के लिये भीड़ वहां जमा हुई थी, मौके पर आदिवासी तीन मई को राज्य में हुई जातीय झड़पों में मारे गये अपने लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना बना रहे थे।
दंगाइयों की भीड़ ने अलग-अलग कैलिबर की 19,000 से ज्यादा राउंड गोलियां, एक एके सीरीज असॉल्ट राइफल, तीन ‘घातक’ राइफलें, 195 सेल्फ-लोडिंग राइफलें, पांच एमपी-5 बंदूकें, सोलह 9 मिमी पिस्तौल, 25 बुलेटप्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन समेत 124 हैंड ग्रेनेड लूट लिये।
आदिवासियों की ओर से सामूहिक दफ़न कार्यक्रम से संघर्षग्रस्त मणिपुर में ताज़ा तनाव पैदा हो गया था और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय (Meitei Community) ने कुकी समुदाय के इस कदम का विरोध कर रहा था।
हालिया हुई इस झड़पों में 25 से ज्यादा लोग जख्मी हो गये क्योंकि सेना और आरएएफ के ज़वानों ने लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने के नियम को उल्लंघन करने के चलते तयशुदा दफन स्थल की ओर जाने वाले जुलूसों को रोकने के लिये बीते (3 अगस्त 2023) गुरुवार को बिष्णुपुर जिले (Bishnupur District) के कांगवई और फौगाकचाओ (Kangwai and Phougacchao) इलाकों में जमकर आंसू गैस के गोले छोड़े।
बहुसंख्यक समुदाय ने राज्य की राजधानी में दो हथियारखानों को भी लूटने की कोशिश की थी लेकिन वक्त रहते इस कोशिश को नाकाम कर दिया गया। मणिपुर उच्च न्यायालय (Manipur High Court) ने गुरुवार सुबह हुई सुनवाई में तयशुदा सामूहिक दफन पर रोक लगा दी थी, हालांकि कुकी समुदाय ने दावा किया था कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) के साथ चर्चा करने के बाद ही कार्यक्रम स्थगित कर दिया था।
बता दे कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिये मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय झड़पें होने के बाद से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गयी और कई सौ लोग बुरी तरह जख्मी हो गये। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की तादाद लगभग 53 फीसदी है और ये ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नागा और कुकी (Naga and Kuki) 40 फीसदी से कुछ ज्यादा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।