न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): Manipur Crisis: मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के तेईस विधायकों ने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसमें संघर्षग्रस्त राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का वादा किया गया है। विधायकों ने ये भी संकल्प लिया कि वो जल्द ही दिल्ली (Delhi) जाकर केंद्रीय नेतृत्व को मौजूदा संकट का जल्द से जल्द समाधान निकालने के लिये मनायेगें। दिलचस्प बात ये है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (Chief Minister N Biren Singh) ने इस संकल्प पत्र पर साइन नहीं किये है।
सोमवार (11 सितंबर 2023) देर रात सीएम सचिवालय में नागरिक समाज संगठन यूथ ऑफ मणिपुर (Youth of Manipur) के सदस्यों के साथ बैठक के बाद हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि कुकी ज़ो समुदाय की ओर से सामने आयी अलग प्रशासन की मांग उन्हें मंजूर नहीं है। प्रस्ताव में कहा गया कि, “संकल्प पत्र पर साइन करने वाले सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है कि हम मणिपुर राज्य की क्षेत्रीय अखंडता के लिये खड़े रहेंगे और अलग प्रशासन के किसी भी रूप पर हम सहमत नहीं होंगे।”
सोमवार रात यूथ ऑफ मणिपुर के हजारों सदस्यों ने सीएम से मिलने के लिये उनके बंगले की ओर मार्च किया, लेकिन सुरक्षा बलों ने उनमें से सिर्फ कुछ को ही बैरिकेड्स के पार जाने दिया। सीएम से मुलाकात के दौरान YOM सदस्यों ने मांग की कि उन 10 कुकी विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाये जिन्होंने मणिपुर में समुदाय के लिये अलग प्रशासन की मांग की थी। उन्होंने इस मामले पर चर्चा के लिये विशेष विधानसभा सत्र बुलाने और राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC- National Register of Citizens) लागू करने की भी मांग की।
बता दे कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिये मैतेई समुदाय (Meitei Community) की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं, जिसके बाद से 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गयी और कई सैकड़ों घायल हो गये। मणिपुर की आबादी में मेतैई लोगों की तादाद लगभग 53 फीसदी है और वो ज्यादातर इम्फाल घाटी (Imphal Valley) में रहते हैं। आदिवासी नागा और कुकी (Tribal Naga and Kuki) की आबादी राज्य की कुल आबादी का 40 फीसदी से कुछ ज्यादा हैं और ये लोग सूबे के पहाड़ी जिलों में रहते हैं।