न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ/राम अजोर): मणिपुर (Manipur) में संपन्न और प्रभावशाली मेइती समुदाय (Meitei Community) की ओर से उठायी जाने वाली एसटी दर्जे की मांग और मणिपुर उच्च न्यायालय की गैर-कानूनी सिफारिश के खिलाफ आज (3 मई 2023) कई जनजातीय छात्र संघ के नेता और उनसे जुड़े सदस्यों ने आज एकजुटता दिखाते हुए मार्च निकाला। इस कार्यक्रम की खास बात ये रही है कि नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (North East Students Organization) के मंच तले पूर्वोत्तर भारत के आठ बड़े जनजातीय छात्र संघों ने एक साथ मंच साझा किया।
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, खासी छात्र संघ, गारो छात्र संघ, ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन, नागा स्टूडेंट्स फेडरेशन, ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन, मिजो जिरलाई पावल और त्विप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन ने पहाड़ी मूलनिवासियों की सहमति के बिना आदिवासी भूमि को आरक्षित और संरक्षित वन के रूप में घोषित करने और स्थानीय जनता को मजबूर करने के लिये निर्वाचित नेताओं द्वारा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का मामला भी जोर-शोर से उठाया। मौके पर मौजूद कई युवाओं ने कहा कि, ये काफी संवेदनशील मसले पर है, इन कानून बनाने या किसी आदेश का पारित करने से पहले स्थानीय समुदाय की मंजूरी प्रशानसनिक अमले को लेनी चाहिये।
छात्र संघों ने पुरजोर तरीके से कहा कि- मणिपुर के हालिया घटनाक्रम से पूर्वोत्तर भारत के तमाम युवाओं में भारी रोष है। मणिपुर सरकार राज्य के मूलनिवासियों के हितों की लगातार अनदेखी कर रही है। प्रशासनिक फैसले और राजकीय कवायदों से लगता है कि सूबे के मूलनिवासियों अवैध अप्रवासी घोषित किये जाने की पूरी तैयारी कर ली गयी है। आरक्षित जंगली इलाकों में रहने वाली मूलनिवासियों की उस बसावट से छेड़छाड़ की जा रही है कि जो कि प्राचीन काल से ही राज्य की पहचान का अहम हिस्सा रहे है। मणिपुर की सरकार को ये ध्यान रखना होगा कि ये उत्तर पूर्व के मूलनिवासियों का समुदाय हैं और ये इलाकों पूर्वजों की अथक मेहनत से बसाये हुए है। सरकार को स्थानीय समुदाय पर खास तव्ज़जों देनी चाहिये ये ये नेपाल या बांग्लादेश के अवैध अप्रवासी नहीं हैं।
बता दे कि पूर्वोत्तर भारत के कई छात्र संघ के मणिपुर में चल रहे घटनाक्रम से खासा नाराज़ है। उनका मानना है कि सूबे के मुख्यमंत्री एन.बिरेन सिंह (Chief Minister N. Biren Singh) राजनीतिक समीकरणों के चलते मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाये जाने में खासा दिलचस्पी ले रहे है। इसके साथ ही स स्थानीय पहाड़ी जनजातियों के लोगों की बसावट से छेड़छाड़ और राज्य में चल रही ड्रग्स से जुड़ी गतिविधियां से जैसे कई तमाम मुद्दों पर मुख्यमंत्री की बेरूखी और चुप्पी के खिलाफ छात्र संघों ने स्थानीय प्रशासन की मदद से माननीय राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा साथ ही दावा किया कि इन संवेदनशील मुद्दों को लेकर वो आगे भी इसी तर्ज पर मजबूती से लामबंद होते रहेगें।