न्यूज डेस्क (मातंगी निगम): Manipur Ethnic Violence: मणिपुर सरकार ने हाल ही में राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर बैन 10 जुलाई 2023 तक के लिये और बढ़ा दिया। मणिपुर गृह विभाग की ओर जारी एक फरमान में कहा गया है कि जानमाल के नुकसान, सार्वजनिक/निजी संपत्ति को नुकसान और सार्वजनिक शांति में व्यापक गड़बड़ी के खतरे को रोकने के लिये ये एहतियाती कदम उठाये गये हैं।
मणिपुर गृह विभाग की ओर जारी अधिसूचना में कहा गया है कि- “दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के नियम 2 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट सेवाओं पर अस्थायी तौर पर बैन लगाया जाता है। इंटरनेट जारी रहने से शांति हालात और सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव में गंभीर गड़बड़ी पैदा होने की संभावना है, ऐसे में मोबाइल डेटा सेवाओं, ब्रॉडबैंड समेत इंटरनेट/डेटा सेवाओं जैसे रिलायंस जियो फायबर, एयरटेल एक्सट्रीम ब्लैक, बीएसएल एफटीटीएच, वीपीएन आदि और भारतनेट चरण द्वितीय के वैट के जरिये मिलने वाली इंटरनेट डेटा सेवाओं पर रोक अगले आदेश या फिर 10 जुलाई तक के लिये जारी रहेगी।”
ये आदेश तुरन्त प्रभाव से 10 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे तक लागू रहेगा। आदेश में आगे कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाओं को भड़काने के लिये ऑल्टर इमेज, नफरत भरे भाषण और नफरत भरे वीडियो संदेशों की ब्रॉडकास्टिंग के लिये बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका मणिपुर में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर असर हो सकता है।
इससे पहले बुधवार को मणिपुर सरकार के शिक्षा विभाग (स्कूल) के तहत आने वालों स्कूल में 3 मई को पहाड़ी राज्य में भड़की जातीय हिंसा के कारण दो महीने से ज्यादा समय से बंद रहने के बाद कक्षा 1-8 के लिये स्कूल फिर से खुल गये और अपनी सामान्य तौर पर कक्षायें फिर से शुरू कर दी गयी।
ये कदम छात्रों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए उठाया गया। लंबी गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल खुलने से छात्रों के माता-पिता और अभिभावक खुश हैं।
बता दे कि मेइती समुदाय (Meitei Community) को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU- All Tribal Students Union) की ओर से आयोजित एक रैली के दौरान झड़प के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी। मणिपुर में उपजे संघर्ष के कारण कई लोगों को राहत शिविरों में रहना पड़ा, जबकि दंगों, गोलाबारी और आगजनी 130 से ज्यादा लोग मारे गये।